निर्माणाधीन एनएच-39 को लेकर संवेदनशील नहीं हैं अधिकारी, कछुए की गति से चल रहा सड़क का कार्य
सीधी-सिंगरौली नेशनल हाईवे-39 के कार्य को लेकर जिले के अधिकारी एवं एमपीआरडीसी का अमला गंभीर नजर नहीं आ रहा है। यदि सप्ताह में एक बार भी अधिकारी एनएच-39 निर्माणाधीन स्थल का मुआयना करें तो कार्य में प्रगति दिख सकती है। लेकिन साहब लोग भी धूल से बचने के लिए गुरेज करते हैं।
दरअसल सीधी-सिंगरौली निर्माणाधीन फोरलेन का कार्य अब कब पूर्ण होगा इसको लेकर लोगों के जेहन में यही सवाल उठ रहा है। चर्चा यह भी है कि संविदाकार निर्धारित समयसीमा में गुणवत्ता के साथ कार्य पूर्ण कर पायेगा की नहीं इसको लेकर एमपीआरडीसी के अधिकारियों के जुबान पर ताला लग गये हैं। अब यही अधिकारी सड़क कार्य पूर्ण करने को लेकर कोई डेडलाईन बताने को तैयार नहीं हैं। एनएच-39 का नाम सामने आते ही उनके गले रूंध जाते हैं और बातों को दूसरी तरफ घुमाने का प्रयास करते हैं। इधर आरोप लग रहे हैं कि जिले के अधिकारी भी अब इतना संवेदनशील नजर नहीं आ रहे हैं। सजहर जंगल से लेकर गोपद नदी तक के गड्ढों व धूल से बचने के लिए हर कोई प्रयास कर रहा है। यही कारण है कि एमपीआरडीसी के अधिकारी भी समय-समय पर कार्य का मुआयना कर मानीटरिंग नहीं कर रहे हैं। लिहाजा संविदाकार अपनी मनमर्जी मुताबिक कार्य को कछुए की गति से करा रहा है। वर्षा ऋतु आने डेढ़ महीने का वक्त और बचा है। ऐसे में यदि सजहर जंगल की सड़क एवं गोपद पुलिया का कार्य पूर्ण नहीं हुआ तो बारिश के दिनों में फिर से सरई मार्ग से सीधी एवं बड़ोखर-खड़ौरा मार्ग से देवसर-कर्थुआ आने जाने के लिए विकल्प रहेगा। प्रबुद्धजनों का मानना है कि यदि जिले के अधिकारी सतत् मानीटरिंग करते हुए सप्ताह में एक बार भी मुआयना करें तो निश्चित ही कार्य की प्रगति बढ़ सकती है। वर्ना पूर्व की तरह काम होता रहेगा और ऊर्जाधानी के रहवासियों को इसी उबड़-खाबड़ एवं धूल भरी सड़कों से गुजरना पड़ेगा। फिलहाल सीधी-सिंगरौली एनएच-39 सड़क मार्ग प्रदेश एवं केन्द्र सरकार के लिए गले का फास बना हुआ है। इसका कार्य पूर्ण होगा की नहीं इस पर संशय के बादल मडऱाते हुए दिख रहे हैं।
संवाददाता : पंकज तिवारी
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