एसआई को ट्रैक्टर से घसीटने एवं आरक्षक के साथ हुई धक्का-मुक्की से सिंगरौली पुलिस की हुई किरकिरी
जियावन थाना क्षेत्र के रेही रेत खदान में पुलिस बिना किसी तैयारी के ही रेत माफियाओं को पकडऩे पहुंच गयी थी। जबकि इसके पहले भी रेत माफिया पुलिस को कई बार चकमा दे चुके हैं। इसके बावजूद जियावन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं ली। परिणाम सबके सामने है।
गौरतलब हो कि जियावन थाना क्षेत्र के ग्राम रेही रेत खदान में रेत के अवैध कारोबार किये जाने की सूचना पुलिस को मिली थी। जहां जियावन में पदस्थ उप निरीक्षक प्रदीप सिंह एवं एएसआई सुरेश वर्मा तथा आरक्षक गौतम कुमार दबिश देकर दबोचने पहुंच गये। मौके पर दो टै्रक्टर रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन करते पाये गये। एसआई ने एक टै्रक्टर को पकडऩे के लिए प्रयास किये। इसी दौरान चालक टै्रक्टर लेकर चल पड़ा। एसआई ने अपनी जान बचाने के लिए स्टेरिंग पकड़कर तकरीबन एक किलोमीटर तक घसीटते रहे। किसी तरह टै्रक्टर को रोक पाने में सफल हुए। लेकिन इस दौरान टै्रक्टर चालक ने कई बार स्टेरिंग से छुड़ान के लिए धक्का भी दिया। इस दौरान उप निरीक्षक चालक पर भारी रहे। उधर खेत में पूरी तरह से टै्रक्टर को लेकर चालक इधर-उधर घुमाता रहा। वहीं दूसरी ओर इसकी जानकारी रेत माफिया के दलालों को लग गयी। सूत्र बताते हैं कि कई युवक पहुंच आरक्षक के साथ भी धक्का-मुक्की शुरू कर दिये। एएसआई ने इसकी सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को फोन पर दिया। जहां मौके पर पुलिस भी पहुंच गयी। अब सवाल उठ रहा है कि जियावन पुलिस ने चर्चित रेही गांव में बिना किसी तैयारी के साथ कैसे चल दी? जबकि रेही गांव कुछ महीनों से सुर्खियों में है। यहां सड़क में ढाबा के पास बाइक सवार के साथ लूट-पाट, मारपीट की वारदात होने लगी हैं। इसके अलावा कुछ महीने पहले यहां पुलिस को ही रेत माफिया चकमा देकर भागने में सफल हो गये थे। इसके बावजूद पुलिस की इतनी बड़ी लापरवाही व चूक मानी जा रही है की कहीं न कहीं पुलिस की अति आत्मविश्वास से ही इतनी बड़ी वारदात हुई है। संयोग ही माने की कोई बड़ी घटना नहीं हुई। इसमें उप निरीक्षक प्रदीप सिंह ने अद्यम साहस का परिचय दिया। यदि माफियाओं के सामने कमजोर पड़ते तो कुछ भी हो सकता था। फिलहाल रेही गांव की घटना को लेकर जिले के पुलिस की प्रदेशभर में खूब किरकिरी हो रही है। आरोपियों की चल-अचल संपत्ति खंगालने का जहां कार्य चल रहा है। वहीं झोपडिय़ों को जमींदोज करा दिये जाने के बाद ऐसे आरोपियों में खौफ जरूर पैदा होगा लेकिन सवाल उठाया जा रहा है कि यदि पुलिस गंभीर होती तो शायद यह स्थिति निर्मित न होती। कहीं न कहीं पुलिस से लंबी चूक हुई है।
संवाददाता : पंकज तिवारी
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