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पेंच टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर कार्यशाला


पेंच टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर कार्यशाला


बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु ही नहीं, हमारी धरोहर भी है -

(कुरई कॉलेज में बाघों के सरंक्षण पर कार्यशाला)

शासकीय महाविद्यालय कुरई में स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना व राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में पेंच टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला को संबोधित करने  रजनीश कुमार सिंह डिप्टी डायरेक्टर पेंच टाइगर रिजर्व व आशीष पांडे अधीक्षक पेंच टाइगर रिजर्व उपस्थित हुए। सभी अधिकारियों का स्वागत गुलदस्ते व करतल ध्वनि से  किया गया। तत्पश्चात रजनीश कुमार सिंह ने पीपीटी के माध्यम से विद्यार्थियों से संवाद करते हुए बताया की 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस बाघों के सरंक्षण और उनकी विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने के उद्देश्य से मनाते हैं। बाघ दिवस मनाने की शुरुआत साल 2010 से हुई। रूस के सेंटपिट्सबर्ग में एक इंटरनेशनल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। 


इस कांफ्रेंस में 13 देशों ने हिस्सा लिया। बाघों की विलुप्त होती प्रजातियों पर चिंता जताते हुए बाघों की संख्या 2022 तक दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया।  वर्ष 2023 में बाघ दिवस की थीम - बाघों के साथ एक भविष्य ,  अन्य को जागरूक करें। कार्यशाला के अंत में कार्यशाला प्रभारी प्रो पंकज गहरवार ने कहा की बाघों को हमेशा के लिए खामोश करने से पहले बचा लें, बाघों को मारना लालच हैं , जरूरत नही। बाघ बचाएं प्रकृति बचाएं। कार्यशाला के दौरान कॉलेज स्टॉफ से डॉ श्रुति अवस्थी, तीजेशवरी पारधी, प्रो पवन सोनिक, प्रो जयप्रकाश मरावी, डॉ राजेंद्र कटरे, निहाल गेढ़ाम, नीलिमा, आकाश देशभरतार, नागेश पंद्रे, उमा सोनेशवर इत्यादि उपस्थित रहे। कार्यशाला को सफल बनाने में विवेक वर्मा, संदीप नेताम, अभिषेक नागवंशी, शिरीन सुलताना खान, शुभम सोनी इत्यादि का योगदान रहा।

संवाददाता -  नितिन सोनी 

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