आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाबजूद मेहनत करके अमेरिका में छाया मड़ियादौ का युवा
भारत जंहा एक तरफ चंद्रमा और सूरज की धरती पर कदम रख रहा है और वर्तमान में जी-20 सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है वंही दूसरी तरफ दमोह जिले की जनपद हटा के मड़ियादो का एक युवा अपनी काबिलियत के दम पर अमेरिका की न्यूयॉर्क सिटी के टाइम्स स्क्वायर में छाया हुआ है। हम बात कर रहे हैं मड़ियादौ के एक गरीब असहाय होनहार युवा शिवम छिरौल्या की।आपको बता दें कि मड़ियादौ गांव लगभग 4000 परिवारों का गांव है, जहॉ पर शिवम अपने परिवार के साथ अपनी पढाई लिखाई करके आगे बढ़ चुका है। शिवम के माता पिता ने गांव में ही छोटे मोटे काम करके अपने परिवार का भरण पोषण किया, क्यों कि उनके व्यवसाय से होने वाली आय से परिवार का भरण पोषण करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
बचपन में एक समय के भोजन के लिए संघर्ष करने से लेकर बैंगलोर की एक बढ़ी कंपनी में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक बनने तक शिवम का जीवन इस बात एक उदाहरण है कि कड़ी मेहनत और दृढ संकल्प से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। हटा तहसील के मड़ियादो गांव में एक छोटे से परिवार में पले बडे शिवम अब भारत देश के बैंगलोर में प्रतिष्ठित कंपनी अमेरिकन सेमीकंडक्टर कंपनी क्वालकॉम में कम्प्यूटर विजन रिसर्चर के रूप में कार्यरत है। शिवम की एक सफल वैज्ञानिक बनने की यात्रा बाधाओं से भरी रही है और उन्होने कई जगह पहला स्थान प्राप्त किया।
मड़ियादो निवासी युवा शिवम छिरोलया की विपरीत परिस्थितियों में सफलता के कायल टॉपमेट कम्पनी द्वारा शिवम को पूरे परिवार सहित विश्व के प्रतिष्ठित स्थलों में से एक न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में जगह मिली है, जंहा बड़ी बड़ी स्क्रीन पर इनका चित्रण किया गया। शिवम ने बताया कि ये जगह सभी के लिए नहीं मिलती, कई लोग इस जगह में अपनी प्रोफाईल लगवाने के लिए लाखों रूपये भी खर्च करने को तैयार होते हैं लेकिन कुछ प्राईवेशी की वजह से ये स्क्रीन सभी के लिए नही मिल पाती है।
शिवम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्राम मड़ियादौं में ही पूर्ण की है, आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उच्च स्तरीय पढाई करने के लिए बाहर की ओर रूख कर चुके थे, जहॉ पर उन्होने अनेकों कठिनाईयों का सामना किया। बैंगलोर आईण् आईण् एसण् सीण् से शिक्षा पाने वाले शिवम छिरोल्या इस समय अमेरिकन सेमीकंडक्टर कंपनी क्वालकॉम बैंगलोर में कम्यूटर विजन रिसर्चर के रूप में कार्य कर रहे हैं। शिवम का जीवन ग्रामीण स्तर से है इनके पिता मूकबधिर है और आर्थिक स्थिति से कमजोर होने के बाबजूद शिवम ने अथक मेहनत कर यह मुकाम हासिल किया है.
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