भाजपा ने हार के डर से उम्र सीमा में किया समझौते का फैसला युवा उम्मीदवारों से को छोड़ उम्रदराज को दी प्राथमिकता
प्रदेश में 17 नवंबर को होने वाले मतदान में अब मात्र चार दिन शेष हैं और भाजपा इसमें जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पीएम मोदी स्वयं जबर्दस्त दौरे और रोड शो के जरिए अपनी पार्टी को जीत दिलाने में जुटे हैं। पार्टी ने प्रदेश की 230 सीटों पर तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों और एक पार्टी महासचिव को मैदान में उतारा है, ताकि सत्ता विरोधी लहर को विफल किया जा सके। प्रदेश में पांचवीं बार सरकार बनाने के इरादे से पार्टी ने नई पीढ़ी को आगे लाने व बुजुर्ग नेताओं को रिटायर करने की अपनी नीति में भी इस बार बदलाव किया है, वहीं कांग्रेस भी सत्ता में वापसी के लिए जी जान से जुटी है और आक्रामक ढंग से प्रचार कर रही है।
कर्नाटक में वरिष्ठ व बुजुर्ग नेताओं के बजाए बूढे नेताओं को ज्यादा तवज्जो दी थी। यहां तक कि पार्टी ने पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार (67) और पूर्व उप मुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा (74) को भी टिकट नहीं दिया था। इसे पार्टी की पराजय का बड़ा कारण माना गया था।
80 साल के नागौद को भी दिया टिकट
कर्नाटक जैसी गलती मप्र में न हो इसलिए भाजपा ने सतना जिले की नागौद सीट से पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह नागौद (80) को और रीवा जिले के गुढ़ सीट से नागेंद्र सिंह (79) को मैदान में उतारा है। गुढ़ सीट पर आप ने प्रखर प्रताप सिंह को टिकट दिया है, जो अमेरिका में बड़ी नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ रहे हैं। 25 वर्ष के प्रखर प्रदेश चुनाव में सबसे युवा प्रत्याशी हैं।
नागौद व सिंह नहीं थे चुनाव लड़ने को तैयार
राजनीतिक पर्यवेक्षक जयराम शुक्ला का नागौद और नागेंद्र सिंह ने पांच माह पहले ही चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था, इसके बाद भी पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है। शुक्ला पं. दीनदयाल विचार प्रकाशन की पत्रिका चरैवैति के पूर्व संपादक हैं।
76 साल के मलैया भी मैदान में
भाजपा ने मप्र के पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया (76) को दमोह से और 75 साल के जगन्नाथ सिंह रघुवंशी को अशोक नगर जिले की चंदेरी सीट से टिकट दिया है। वहीं, पूर्व स्पीकर सीताशरण शर्मा (73) को नर्मदापुरम से प्रत्याशी बनाया है। जबकि 73 साल के बिसाहूलाल सिंह को अनूपपुर सीट से तो 73 साल की माया सिंह को ग्वालियर से प्रत्याशी बनाया गया है।
संवाददाता:डॉली सोनी
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