Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

Responsive Advertisement

मासूम पढ़ाई की उम्र में बिन रहे कबाड़ पेट की आग को बुझाने नियम कानून तोड़ रहे दम श्रम विभाग की उदासीनता आई सामने

 मासूम पढ़ाई की उम्र में बिन रहे कबाड़ पेट की आग को बुझाने नियम कानून तोड़ रहे दम श्रम विभाग की उदासीनता आई सामने

जिले के सभी सरकारी स्कूलों में एक अप्रैल से प्रवेश उत्सव का आयोजन भले ही किया जा रहा है। लेकिन जिले में श्रम विभाग प्रवेश उत्सव को लेकर बिल्कुल भी संजीदा नही है।

यहां मुख्यालय सहित आस-पास के क्षेत्र में इन दिनों कबाड़ बिनते नौनिहालों को आसानी से देखा जा सकता है। ककहरा सीखने की उम्र में यह बच्चे कबाड़ बिनने में कमर तोड़ मेहनत कर किसी तरह दो वक्त की रोटी का जुगाढ़ करने में जुटे हुए हैं। वही श्रम विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस भीषण गर्मी में अपने दफ्तरों के 18 डिग्री तापमान पर आराम फरमा रहे हैं और सरकार की योजनाओं पर पलीता लगा रहे हैं। गौरतलब है कि सरकार भले ही शिक्षा का अधिकार कानून लागू कर दिए हैं और श्रम विभाग को जिम्मेदारी दे दी है कि 6 से 14 वर्ष तक के बच्चे स्कूल जाने से वंचित न हो। ताकि उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। लेकिन श्रम विभाग अमला अपने काम के प्रति बिल्कुल भी ईमानदार नही है। शिक्षा का अधिकार कई साल से कानून के रूप में लागू होने के बावजूद भी फाइलों से निकलकर हकीकत में लागू नही हो पा रहा है। कानून का विधिवत रूप से अनुपालन न होने के कारण अब भी क्षेत्र में छह से 14 वर्ष तक के बच्चे स्कूल जाने की जगह दो वक्त की रोजी रोटी की जुगाढ़ में सुबह से स्कूल बैग लेने के स्थान पर कबाड़ बीनने एवं कबाड़ को एकत्र कर कबाड़ की दुकानों पर पहुंचाकर पैसा कमाने के लिए निकल पड़ते हैं। छोटे-छोटे बच्चों के हाथों में कॉपी, किताब, कलम की जगह कबाड़ से भरी बोरी व जूठे बर्तन, प्लेट देख बाल मजदूरी को रोकने का सपना भी अधूरा दिखता है। स्थिति यह है कि सैकड़ों बच्चों का बचपन कबाड़ बिनन, होटलों-ढाबों, टेंट की दुकानों सहित अन्य जगहों पर इन बाल मजदूरों को काम करते हुए आसानी से देखा जा सकता है। इसके बावजूद इस पर रोक लगाने में श्रम विभाग अनजान बना हुआ है। शासन प्रशासन की उदासीनता से इनका बचपन खो रहा है। इनके पेट की आग के आगे सब नियम कानून दम तोड़ रहे हैं। इनका भविष्य सवारने के लिए सरकार के प्रयास के साथ-साथ ऐसे लोगों का सामाजिक विरोध भी किए जाने की जरुरत है।

संवाददाता : आशीष सोनी

Post a Comment

0 Comments