खकनार जनपद में दिव्यांगों को देने वाली ट्राई साईकल धूल खा रही है, कौन है जिम्मेदार ?
क्या ट्राई साइकिलें कबाड़ में पूर्ण रूप से तब्दील होने का इंतजार रहे है जिम्मेदार ?
केंद्र और राज्य सरकार दिव्यांगजनों के लिए कई प्रकार की महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है. इतना ही नहीं दिव्यांगजनों की सुविधानुसार उन्हें ट्राई साइकिले और बैटरी से चलने वाले साइकिलों का भी वितरण सरकार जनपद पंचायतों के जरिए कर रही है. लेकिन जमीनी स्तर में अधिकारियों और कर्मचारियों लापरवाही के चलते हज़ारों रुपए की ट्राई साइकिले जो दिव्यांगों के लिए आई हुई थी वो धूल खा रही है और रखे रखे कबाड़ में तब्दील हो रही है. वहीं दिव्यांग इन ट्राई साइकिलों को पाने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरते है।
बुरहानपुर जिले के खकनार जनपद में ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जहाँ सरकार द्वारा भेजी गई ट्राईसाइकिल भंगार में पड़ी हुई है। ये ट्राईसाइकिल अब तक बांटे नहीं गए। तस्वीरों में दिख रही ये ट्राई साइकिले किसी कबाड़ी की दुकान की नहीं, बल्कि जनपद पंचायत कार्यालय खकनार के पीछे बने कमरे की है. जहां ट्राई साइकिले रखी-रखी धूल खा रही है और कबाड़ में तब्दील हो रही है. इतना ही नहीं इन ट्राई साइकिलों की सुद लेने वाला कोई नहीं है. दिव्यांगजनों को देने के लिए यह ट्राई साइकिलों को मंगवाया गया था. लेकिन किन कारणों के चलते उन्हें यह वितरित नहीं की गई यह तो प्रशासनिक अधिकारी ही जानते है। बता दें कि सामाजिक न्याय विभाग द्वारा दिव्यांगजन सशक्तिकरण के लिए एडिप योजना के तहत दिव्यांगों को निःशुल्क ट्राईसाइकिल वितरण की जाना थी।
जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए दिव्यांगजनों को उनकी सुविधा के लिए दिए जाते है उपकरण। विभाग द्वारा सहायक उपकरणों का पूर्ण रूप से उपयोग करने हेतु हमेशा आग्रह किया जाता है। लेकिन यदि सरकारी अमला ही इन उपकरणों को भंगार के रूप में रख रहा है। शासन द्वारा प्राप्त उपकरण लाभार्थी को न मिलकर भंगार में खराब होने के लिए पड़े रहना कहा तक उचित है। कही न कही ये ट्राई साईकल दिव्यांगजनों को मिलना था। ये लापरवाही से अंदाजा लगया जा सकता है कि जनकल्याणकारी योजनाओं धरातल पर कहा तक पहुँच रही है। जिम्मेदार ये उपकरण की उपयोगिता को भूले। सहायक उपकरणों के माध्यम से लाभार्थियों को स्वावलम्बी व सशक्त करने और उन्हें समाज की मुख्य धारा के साथ जोड़ने का एक प्रयास है।
ये ट्राई साइकिले सर्वे के बाद व्यक्ति विशेष के नाम से आती है। जिनके नाम से आई थी उन्हें क्यों ये वितरित नहीं की गई. इसकी जांच होनी चाहिए
संवाददाता : नवीन आड़े
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