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2024 में मध्य प्रदेश में हुए बड़े राजनैतिक उथल पुथल, जिसने देश की सियासत में मचा दी खलबली

 2024 में मध्य प्रदेश में हुए बड़े राजनैतिक उथल पुथल, जिसने देश की सियासत में मचा दी खलबली

मध्य प्रदेश के लिए वर्ष 2024 बड़ा ही रोचक रहा, इस वर्ष प्रदेश की राजनीति में कई बड़े बदलाव और चर्चित घटनाओं ने हलचल मचाई। भाजपा-कांग्रेस की सियासी लड़ाई के साथ राज्य कई अनोखी घटनाओं का भी गवाह बना। प्रदेश में ऐसी कई घटनाएं हुईं, जिसमें कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा, तो वहीं भाजपा में भी हलचल मची। नो फिकर आपको यहां ऐसी ही राजनैतिक घटनाओं से रूबरू करवा रहे है, जिसके घटने से सियासी हलचल बढ़ गई थी।

घटना अप्रैल 2024 की है, पूरे देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका था। इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने पार्टी को तगड़ा झटका देते हुए नामांकन वापसी के आखिरी दिन अपना पर्चा ही वापस ले लिया। उसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। ये देश की राजनीति में अनोखी घटना थी।

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में भाजपा ने इतिहास रचते हुए सभी 29 सीटों पर जीत हासिल की। 50 वर्षों से कांग्रेस के कमलनाथ का किला रही छिंदवाड़ा सीट से नकुल नाथ चुनाव हार गए। कमलनाथ यहां से 9 बार सांसद रहे, जबकि उनके बेटे नकुल एक बार सांसद रहे। लेकिन भाजपा ने उनका किला ढहा दिया। 

लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए रामनिवास रावत को भाजपा ने मंत्री बना दिया। रावत उस समय श्योपुर जिले की विजयपुर सीट से कांग्रेस के विधायक थे। उनके इस्तीफे के बाद यहां उपचुनाव हुए, जिसमें भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया। प्रदेश में खुद भाजपा की सरकार थी, ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि वे इस सीट से आसानी से चुनाव जीत जाएंगे। लेकिन जब चुनाव के परिणाम सामने आए तो दिग्गजों के होश उड़ गए। यहां कांग्रेस के साधारण कार्यकर्ता मुकेश मल्होत्रा ने रावत को हरा दिया। यह घटना भाजपा के लिए बड़ा झटका रही।

बात अगस्त माह की है जब मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला द्वारा स्वतंत्रता दिवस की परेड के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के बैच को उल्टा लगाने का मामला सामने आया जिसके चलते उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला पर राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का मामला पंजी बध्य हुआ था, वहीं तिरंगा यात्रा के दौरान स्कूली शिक्षा एवं परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह पर भी राष्ट्रीय ध्वज को गाड़ी पर उपयुक्त न लगाने के कारण राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का मामला पंजी बध्य हुआ था जिसके चलते दौनो ही जन प्रतिनिधि की काफी किरकीरि हुई थी और भारतीय जनता पार्टी को शर्मिंदा होना पड़ा था वैसे स्कूली शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है क्योंकि अतिथि शिक्षकों को मेहमान कहने वाला बयान भी कभी सुर्खियों में रहा जिसका विरोध करने गए अतिथि शिक्षकों का स्वागत मोहन सरकार की पुलिस ने मारपीट के साथ किया था जिसे लेकर शियासत गर्म होने पर स्कूली शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह को सफाई देते हुए माफी मांगनी पड़ी थी। 

मध्य प्रदेश के सागर जिले की बीना से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे भाजपा में हैं या कांग्रेस में? इस सवाल का जवाब तो खुद निर्मला सप्रे के पास भी नहीं है। निर्मला को बीना जिला बनाने का श्रेय लेने के लिए भाजपा में शामिल होने की सूझी, लेकिन मामला ऐसा फंसा कि न वे भाजपा में आ पाई, न ही कांग्रेस की रह पाईं। मामला हाई कोर्ट में है और निर्मला जनता के बीच से गायब है।

साल 2024 के जाते-जाते भाजपा में गुटबाजी दिखाई दे रही है। भाजपा के वर्तमान विधायक और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपने बागी तेवर दिखाते हुए अपनी ही सरकार को घेरना शुरू कर दिया। जिससे वरिष्ठ नेता भी नाराज है। हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान पूर्व मंत्री व वर्तमान खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह ने खुद की सरकार को खूब घेरा। इसके पीछे कारण कांग्रेस से भाजपा में आए मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और विधायक निर्मला सप्रे से उन्हें खतरा महसूस होना बताया जा रहा है। दोनों भी सागर जिले से ही प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अलावा उन्होंने आरटीओ टैक्स वसूली का भी मुद्दा उठाते हुए अपनी सरकार निशाना साधते हुए कई बड़े आरोप लगा दिए, विगत दिनों पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के भतीजे लखन सिंह द्वारा आयोजित क्षत्रिय सम्मेलन को भी इस वाक युद्ध से जोड़ कर ही देखा जा रहा है, वहीं मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के द्वारा भी बयानों के तीर निरंतर चलाए जा रहे हैं वैसे सवाल यह उठता है कि एक समय मजबूत दोस्त कहे जाने वाले दौनो नेताओं में खटास किसने डाली

वीडियो लिंक : https://www.youtube.com/watch?v=FeJMVxLujEY

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