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कौन हैं गीतानंद गिरी महाराज ? सिर पर क्यों धारण किया 45 किलो रुद्राक्ष

 कौन हैं गीतानंद गिरी महाराज ? सिर पर क्यों धारण किया 45 किलो रुद्राक्ष

गंगा की धरा पर 13 जनवरी से विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ होने जा रहा है।महाकुंभ के लिए कई नामी बाबाओं का जमावड़ा शुरू हो गया है।महाकुंभ शुरू होने से पहले अखाड़े में प्रवेश शुरू हो गया है और साधु-संत अपने-अपने आखाड़े में आने लगे हैं। महाकुंभ में नागा सन्यासी अपनी छावनियों में प्रवेश कर जप-तप और साधना में लीन हो गए हैं। इन्हीं संतों में से एक हैं गीतानंद गिरी महाराज।गीतानंद महाराज की एक खास बात उन्हें श्रद्धालुओं में काफी लोकप्रिय बना रही है।गीतानंद गिरी महाराज ने अपने शरीर पर सवा दो लाख से ज्यादा रुद्राक्ष धारण कर रखा हैं।

गीतानंद गिरी महाराज ने 2019 में लिया संकल्प

आवाहन अखाड़ा हरियाणा शाखा के सचिव गीतानंद गिरी महाराज 2019 में प्रयागराज में हुए कुंभ के दौरान एक अनूठा संकल्प लिया था।यह संकल्प 12 साल तक प्रतिदिन सवा लाख रुद्राक्ष धारण करने को लेकर था।अभी गीतानंद गिरी महाराज के संकल्प को छह साल ही हुए हैं और रुद्राक्ष की संख्या आज सवा दो लाख के ऊपर पहुंच चुकी है। इन रुद्राक्ष का वजन 45 किलोग्राम से अधिक है। अभी गीतानंद गिरी महाराज के संकल्प में छह साल और बाकी हैं। ऐसे में रुद्राक्ष का वजन और बढ़ेगा।

कितनी देर धारण करते हैं रुद्राक्ष

गीतानंद गिरी महाराज दिन में 12 घंटे तक इन रुद्राक्ष को धारण करते हैं। सुबह पांच बचे रुद्राक्ष धारण करने के बाद उसे शाम पांच बजे उतार देते हैं। जब तक रुद्राक्ष शरीर पर रहता है तब तक गीतानंद गिरी महाराज बेहद हल्का भोजन ग्रहण करते हैं और तपस्या करते हैं।

कैसे बने संन्यासी

गीतानंद गिरी महाराज ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते हैं। गीतानंद गिरी महाराज के पिता रेलवे में टीटी थे। उनके माता-पिता के कोई संतान नहीं हो रही थी। बाद में गुरुजी महाराज के आशीर्वाद से उन्हें संतान हुई। इसके बाद उन्होंने अपनी संतान को गुरुजी को समर्पित कर दिया। पंजाब में गीतानंद‌ गिरी महाराज के माता-पिता ने उन्हें गुरुजी को सौंप दिया था। तब से वह गुरुसेवा में हैं और संन्यासी जीवन बिता रहे हैं। गीतानंद गिरी महाराज ने संस्कृत माध्यम से हाईस्कूल तक पढ़ाई की है।

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