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महाकुंभ पहुंचे ‘ऑक्सीजन’ वाले बाबा, हमेशा अपने साथ रखते हैं ऑक्सीजन सिलेंडर

 महाकुंभ पहुंचे ‘ऑक्सीजन’ वाले बाबा, हमेशा अपने साथ रखते हैं ऑक्सीजन सिलेंडर

महाकुंभ 2025 के लिए प्रयागराज पूरी तरह तैयार हो गया है। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन से महाकुंभ में दिव्य स्नान की परंपरा शुरू हो जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यहां गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी की धारा में आस्था की डुबकी लगाने वालों को जीवन मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। इसी कारण कुंभ मेले में लगातार देश-विदेश से संत-महात्मा व अखाड़ों के प्रमुखों के साथ श्रद्धालु जुटने शुरू हो गए हैं। इन्हीं में से एक हैं- 62 वर्षीय महंत इंद्र गिरी महाराज। महंत इंद्र गिरी महाराज को लोग ‘ऑक्सीजन’ बाबा के नाम से जानते हैं। महंत इंद्र गिरी हमेशा अपने साथ ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर चलते हैं। इसके कारण लोग इन्हें ‘ऑक्सीजन’ वाले बाबा कहते हैं।

दरअसल महंत इंद्र गिरी महाराज आवाहन अखाड़े के महंत हैं। चार साल पहले साल 2021 में कोरोना की महामारी के दौर में कोविड की चपेट में आने से उनके फेफड़े तकरीबन पूरी तरह खराब हो गए थे। वर्तमान में उनके दोनों फेफड़े 97 प्रतिशत से ज्यादा डैमेज हैं। वे ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। डॉक्टर्स ने जवाब दे दिया था। इन्हें बताया गया कि जीवन अब तभी तक है, जब तक आर्टिफिशियल ऑक्सीजन के जरिए सांस चलती रहेगी। इतना ही नहीं उन्हें चलने फिरने और सफर करने से बचने को भी कहा गया था।


इसके बाद भी श्री महंत इंद्र गिरि जी डॉक्टर्स की हिदायत को नजरअंदाज करते हुए न सिर्फ हरियाणा के कुरुक्षेत्र से हजार किलोमीटर का सफर तय करते हुए महाकुंभ में आए हुए हैं। ऑक्सीजन सिलेंडर से कृत्रिम सांसे लेते हुए दूसरे नागा सन्यासियों के बीच बिस्तर पर लेटे हुए ही भगवान भोलेनाथ के नाम का जाप कर रहे हैं। श्री महंत इंद्र गिरि जी महाराज खुद भी नागा संत हैं, लेकिन बीमारी की वजह से यहां दिगंबर स्वरूप को त्याग कर वस्त्र धारण करते हुए भगवान की भक्ति में लीन हैं। उनकी इस भक्ति को देखकर हर कोई उनके सामने नतमस्तक हो जाता है।

ऑक्सीजन वाले बाबा के नाम से भी पुकारते हैं लोग

नाक पर हर वक्त ऑक्सीजन का पाइप लगा होने की वजह से महाकुंभ में लोग इन्हें ऑक्सीजन वाले बाबा के नाम से भी पुकारते हैं। महाकुंभ क्षेत्र में आवाहन अखाड़े की छावनी में ऑक्सीजन वाले बाबा श्री महंत इंद्र गिरि को देखने और इनका दर्शन करने वालों की भीड़ लगी रहती है। कोई इन्हें सिद्ध संत बताता है तो कोई दूर से ही प्रणाम कर इनका आशीर्वाद लेता है।

1989 से लगातार कुंभ में आ रहे

महंत 1989 से लगातार कुंभ में आ रहे हैं। वे हर साल अपने शिविर में अपनी देखरेख में भंडारा चलाते हैं। इस हालत में होने के बाद भी उन्होंने किसी परंपरा को नहीं छोड़ा है। वे आवाहन अखाड़े में पहुंचने वाले एक एक शख्स को पूछ-पूछकर पंगत में बैठाते हैं। भोग प्रसाद लेने के बाद उन्हें दक्षिणा भी अपने हाथों से देते हैं। बाबा कहते हैं कि प्रयागराज के संगम तट पर कुंभ मेले में उनके प्राण भी चले जाएं तो उनके लिए मोक्ष के द्वार खुल जाएंगे।

गंगाजल मंगा कर छावनी में ही स्नान कर लेंगे 

श्री महंत इंद्र गिरि जी महाराज का कहना है कि महाकुंभ में वह अखाड़े के दूसरे नागा संतो के साथ त्रिवेणी की धारा में शाही स्नान करने के लिए जाने को व्याकुल है। हालांकि उन्हें अपनी सेहत और जबरदस्त ठंड का भी एहसास है, इसलिए कहते हैं कि अगर शरीर ने साथ नहीं दिया तो गंगाजल मंगा कर छावनी में ही स्नान कर लेंगे। उनका कहना है कि महाकुंभ की धरती पर अगर प्राण भी छूट जाए तो भी यह सौभाग्य ही होगा।

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