भोपाल गैस कांड का जहरीला कचरा नष्ट करने पर बवाल, प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस का लाठीचार्ज
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 40 साल पहले हुई गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को अब जलाने की प्रक्रिया शुरू हो रही है. धार के पीथमपुर में इस कचरे को ले जाकर खत्म किया जाना है. हालांकि, इसको लेकर मध्य प्रदेश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन चल रहा है. जनता यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकले इस जहरीले कचरे को धार के पीथमपुर में ट्रांसफर किए जाने का विरोध कर रही है.
यह विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुका है. शुक्रवार की सुबह गुस्साए लोगों को हटाने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा है. गौरतलब है कि भोपाल की कार्बाइड फैक्ट्री में हुआ गैस कांड अब तक की सबसे खौफनाक त्रासदी में से एक रहा है. 2-3 दिसंबर 1984 की रात हुई इस त्रासदी में करीब 5 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई थी जबकि इससे कई ज्यादा लोग मानसिक और शारीरिक तौर पर अपंग हो गए थे. अब 40 साल बाद सरकार और प्रशासन ने फैक्ट्री के जहरीले कचरे के खात्मे का फैसला लिया है और तय किया है कि धार के पीथमपुर में इस कचरे को जलाया जाएगा. वहीं, लोगों की मांग है कि इस जहरीले कचरे को पीथमपुर में नष्ट न किया जाए, क्योंकि उन्हें आशंका है कि इससे वातावरण में और सीधे तौर पर जीव-जंतुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इस बीच मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का भी बयान आया है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. मोहन यादव ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी के कचरे में 60 फीसदी मिट्टी है और 40 प्रतिशत नेफ्टॉल. इसका इस्तेमाल कीटनाशक मिथाइल आइसोसाइनेट बनाने में किया जाता है. यह एकदम हानिकारक नहीं है. वहीं, साइंटिस्ट का दावा है कि कचरे में मौजूद जहर 25 साल तक रहता है और अब त्रासदी को 40 साल बीत चुके हैं. ऐसे में ये कचरा अब लोगों के लिए हानिकारक नहीं होगा
वीडियो लिंक : https://www.youtube.com/watch?v=hfkaDCWVq5c
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