हाईकोर्ट के आदेश की फर्जी कॉपी बनाकर निकाल लिए 7 करोड़, संदीप शर्मा समेत पांच पर प्राथमिकी दर्ज
जबलपुर के एक कंप्यूटर ऑपरेटर ने सरकारी खजाने से 7 करोड़ रुपये निकाल लिए. हाई कोर्ट के फर्जी आदेश बनाकर कुछ ऐसे कर्मचारियों का रिटायरमेंट आर्डर जारी कर दिया जो कभी नौकरी में ही नहीं थे. इस मामले में इस कंप्यूटर ऑपरेटर के साथ चार अधिकारी शामिल थे. जिला कोषालय अधिकारी ने इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. फिलहाल सभी आरोपी फरार हैं.
जिला कोषालय अधिकारी ने दर्ज कराई एफआईआर
जबलपुर के स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय में करोड़ों रुपये के घोटाले मामले में जांच के बाद जिला कोषालय अधिकारी विनायिक लकरा ने पांच आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. आरोपियों में कंप्यूटर ऑपरेटर संदीप शर्मा, सीमा अमित तिवारी (सीनियर ऑडिटर), मनोज बरहैया (संयुक्त संचालक), प्रिया विश्नोई (सहायक संचालक) और अनूप कुमार शामिल हैं.इन पर शासकीय धनराशि के गबन, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और जालसाजी के आरोप हैं. इन पर आरोप है कि इन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करके सरकारी खजाने से पैसा निकाला है.
कैसे करता था संदीप जलसाजी
संदीप शर्मा की नियुक्ति सन 2012 में सहायक ग्रेड 3 के रूप में आईएफएमआईएस बिल क्रिएशन के लिए हुई थी. उसका काम पेरोल जनरेट करना और बिल क्रिएट करना था. इसके बाद इन बिलों को टैक्स ऑफिसर चेक करते थे. जिसके बाद कोषालय से इसकी पेमेंट होती थी.
एफआईआर में मुख्य आरोप
संदीप शर्मा ने जब यह काम संभाला तो उसने देखा कि जिस सॉफ्टवेयर के जरिए सैलारी की रकम भरी जाती है उसमें वह अपनी सैलरी 5 लाख तक बढ़ा सकता है. सबसे पहले उसने अपने वेतन 44 हजार रुपये में हेरफेर कर उसे 4 लाख 44,000 रुपये प्रतिमाह कर दिया. जब उसे यह पेमेंट हो गई तो वह समझ गया कि सिस्टम को कोई देख नहीं रहा है. संदीप ने सिर्फ सैलरी के जरिए कुल 55 लाख रुपये का गबन किया.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का फर्जी आदेश बनाया
संदीप दूसरों की तनख्वाह बनाता था और रिटायरमेंट का सेटलमेंट करता था. रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को उनके जीवन भर की ग्रेच्युटी और शासन के दूसरे सुविधाओं का फायदा मिलता है. यह सेटलमेंट करना उसी के हाथ में था. उसने रिटायर होने वाले कई कर्मचारियों की रकम मनमानी तरीके से बढ़ा दी और लोगों को पैसा भी मिल गया. इसके जरिए उसने अपने कई साथियों के साथ घोटाला किया.
हाई कोर्ट के फर्जी आदेश
यहां तक संदीप समझ चुका था कि सरकारी खजाने में और सेंध लगाई जा सकती है. इस बार उसने कुछ ऐसा किया जो इसके पहले नहीं हुआ था. उसने देखा था कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद यदि किसी अधिकारी को कोई पेमेंट होती है तो उस पर कोई सवाल खड़े नहीं होते. उसने कुछ ऐसे लोगों के नाम पर हाई कोर्ट के आदेश पत्र तैयार किए, जो सरकारी नौकरी में नहीं थे लेकिन हाई कोर्ट के फर्जी आदेश पत्र में उन्हें पेमेंट करने की बात कही गई थी. इस तरह इन फर्जी आदेशों के आधार पर उसने करोड़ों रुपये अपने परिचितों के नाम पर ट्रांसफर करवा लिए.
अधिकारी कर्मचारियों की गैंग थी
संदीप इस ऑफिस का सबसे छोटा कर्मचारी था. वह जो बिल बनाता था उसे वेरीफायर के रूप में सीमा तिवारी देखती थीं. अप्रूवर के रूप में मनोज बड़हिया चेक करते थे और पेरोल अप्रूवल के रूप में प्रिया बिश्नोई चेक करती थीं. इन सभी के लॉगिन पासवर्ड थे. जब तक वे डिजिटली ओके नहीं करते थे तब तक बिल आगे नहीं बढ़ता था. इन सबसे ओके होने के बाद बिल कोषालय पहुंचता था जहां से पेमेंट हो जाती थी. इसलिए कोषालय ने इन सभी को दोषी मानते हुए शिकायत में इनका उल्लेख किया है. इस मामले में 34 लोगों के अकाउंट में पैसा गया है.
इन धाराओं के तहत मामला दर्ज
लिखित शिकायत में कहा गया है कि इन आरोपियों ने षड्यंत्रपूर्वक फर्जी दस्तावेज बनाकर जालसाजी करके सरकारी खजाने से 6 करोड़ 99 लाख 20 हजार रुपये का गबन किया है. एफआईआर में इन सभी के खिलाफ आईपीसी धारा 409, 419, 420, 467, 468, 471 और 120बी की धारा 316, (5), 31, 9(2), 318(4), 388, 386, 334( 2 ) और 61(2) के तहत अपराध पंजीबद्ध करने की बात कही गई है.
इन पांच आरोपियों के खिलाफ जबलपुर के ओमती थाने में मामला दर्ज हो गया है. ओमती थाने के प्रभारी राजपाल बघेल का कहना है "संदीप शर्मा सहित सभी आरोपी फरार हैं और उनकी तलाश जारी है. प्रशासन ने तीन कर्मचारियों को निलंबित किया है, और ज्वाइंट डायरेक्टर मनोज बरैया को भोपाल मुख्यालय भेज दिया गया है. इन सभी के खाते सीज कर दिए गए हैं. आरोपियों को पकड़ने की कवायद जारी है.
संवाददाता- आशीष सोनी
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