मऊगंज गडरा कांड में क्यों चुप हैं हिंदुत्व का चोला ओढ़ने वाले विधायक,क्या बोट बैंक बचाने की है कोशिश
मऊगंज के गडरा गांव में घटी दर्दनाक घटना ने पूरे क्षेत्र ही नहीं, बल्कि प्रदेश और देशभर में हलचल मचा दी है। इस घटना ने कई परिवारों को गहरे जख्म दिए हैं—किसी ने अपने पिता को खो दिया, किसी ने अपने पुत्र को, तो किसी ने अपने भाई को। लेकिन दुखद पहलू यह है कि इस गंभीर मामले पर सियासतदानों की चुप्पी साफ नजर आ रही है।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी क्यों....?
मऊगंज के वर्तमान विधायक प्रदीप पटेल आमतौर पर छोटे-छोटे मुद्दों पर धरने पर बैठने और सरकार के खिलाफ बयानबाजी करने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन जब गडरा गांव की इस भयावह घटना पर बोलने की बारी आई, तो उन्होंने चुप्पी साध ली। क्या यह राजनीतिक दबाव है? क्या वोट बैंक की चिंता के कारण वे इस मामले में खुलकर नहीं आ रहे....?
इतना ही नहीं, कांग्रेस और भाजपा के कई नेता जो अन्य मामलों में मुखर रहते हैं, इस मुद्दे पर मौन साधे हुए हैं। मऊगंज विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है, ऐसे में आगामी चुनावों में जनता की नजरें इन नेताओं के रवैये पर टिकी रहेंगी। जनता अब ऐसे नेताओं को सबक सिखाने का मन बना चुकी है, जो केवल अपने स्वार्थ के लिए राजनीति करते हैं।
अब तक नहीं मिली न्याय की गारंटी
गडरा गांव की घटना को कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। प्रशासनिक लापरवाही साफ नजर आ रही है, जिससे जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। यदि यही घटना किसी अन्य प्रदेश में घटी होती, तो शायद अब तक न्याय मिल चुका होता।
मामले को लेकर जिस तरह से प्रशासन का रवैया रहा है, वह सवालों के घेरे में है। कहीं ऐसा तो नहीं कि इसे दबाने की कोशिश की जा रही है..? जनता अब जवाब मांग रही है और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में प्रशासन और जनप्रतिनिधि क्या कदम उठाते हैं। मऊगंज की जनता अब न्याय की उम्मीद में है—क्या उसे न्याय मिलेगा या फिर यह मामला भी राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा।
संवाददाता : आशीष सोनी
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