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जेसीबी मशीनों के हवाले मजदूरों की मनरेगा

 जेसीबी मशीनों के हवाले मजदूरों की मनरेगा


सरकारी नीतियों के अनुसार मनरेगा में मजदूरों को काम मिलेगा लेकिन ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कार्य जेसीबी मशीनों से कराए जा रहे हैं, अब मजदूरों का मनरेगा मशीनों के हवाले हो गया है।

जिले में अमृत सरोवर योजना के तहत कई तालाब बनाये जा रहे हैं जिसके निर्माण कार्य में मजदूरों की जगह ख़ुदाई के लिए जेसीबी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है।

अब मजदूर काम पाने के लिए घर परिवार छोड़कर दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे हैं।

जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विकास और निर्माण कार्यों में मनरेगा मजदूरों की उपयोगिता अनिवार्य की थी,ताकि मजदूरों को काम के लिए किसी अन्य जगह  पलायन न करना पड़े,अपने गांव में ही रह कर मनरेगा के तहत मजदूरी करें,लेकिन अब सारे काम मशीनीकरण हो गए हैं।

गांवों में मजदूरों की जगह मशीनों से कराया जा रहा मनरेगा का काम

मनरेगा योजना के तहत जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कराए जाने वाले विकास कार्यों को मजदूरों से न करा कर अब जेसीबी मशीनों से कराया जा रहा है, जिससे गांव में रहने वाले गरीब मजदूर काफ़ी परेशान हैं। इन मजदूरों से मनरेगा के तहत मजदूरी नहीं करायी जा रही है काम नहीं मिलने से ग्रामीण अपने परिवार का भरण-पोषण पोषण तक ढंग से नहीं कर पा रहे हैं, सबसे ज्यादा परेशानी उन मजदूरों को होती है, जिनके पास खेती करने के लिए एक इंच भी जमीन नहीं है।

अमृत सरोवर की खुदाई करती हैं जेसीबी मशीन

गांव में काम नहीं मिल पाने की बजह से अधिकतर मजदूर शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं, बताते चले कि,मनरेगा योजना शुरू करने के पिछे सरकार का मकसद था की ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब मजदूरों को कम से कम 100 दिन का रोजगार मिले जिससे गरीब मजदूरों को मजदूरी के लिए शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर न होना पड़े,और उनकी अर्थिक स्थिति मजबूत हो इसलिए सरकार ने सभी ग्राम पंचायतों को आदेश दिया था कि गांवों में होने वाले विकास कार्यो में मनरेगा के तहत मजदूरों से मजदूरी करायी जाय. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों की जगह मशीन से काम कराया जा रहा है।

अब मनरेगा योजना सिर्फ कागजों पर ही सीमित रह गयी है

 ऐसा ही एक मामाला प्रदेश के सिंगरौली के चितरंगी विकास खण्ड अंतर्गत ग्राम पंचायत तम ई का सामने आया है जहां खुलेआम दिन-दहाड़े अमृत सरोवर योजना के तहत तालाब मजदूरों के वजाय जेसीबी मशीन से ख़ुदाई की जा रही है, मनरेगा के तहत तालाब की खुदाई मजदूरों की जगह जेसीबी मशीन से करायी जा रही है और सरपंच, सचिव,रोजगार सहायक सहित ब्लॉक में  बैठे मठाधीश  भ्रष्टाचार में लिप्त हो गरीब मजदूरों का हक छीनने में लगे हैं।

पलायन करने को बेवस हो रहे मजदूर

ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत मजदूरी नहीं मिल पाने के कारण गांव के मजदूर शहरों की तरफ या दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर हैं, पंचायतों में होने वाले विकास कार्यो का काम सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक सहित ब्लॉक में बैठे अधिकारी मजदूरों से न करा कर मशीनों से करा रहे हैं।

मशीनों से काम कराने के बाद फ़र्जी मस्टर रोल बनाकर खुलेआम लाखों करोडों रुपये का भ्रष्टाचार कर रहे हैं।

संवाददाता : आशीष सोनी

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