सेवा प्रदाता को खनिज विभाग में कौन किया था अधिकृत? सवालों का जवाब देने में सब रजिस्टार को छूट रहा पसीना, स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क में हेराफेरी पर अब तक चुप क्यों
सेवा प्रदाता अंकित दुबे को खनिज विभाग में लीज में स्टाम्प एवं पंजीयन के लिए कौन अधिकृत किया था, यह सवाल अब कई लोग मौखिक तौर पर सब रजिस्टार से पूछ रहे हैं। फिलहाल सब रजिस्टार के पास इसका कोई ठोस जवाब नही हैं, बल्कि जवाब देने में पसीने छूटने लगे हैं।
दरअसल पिछले सप्ताह 17 सितम्बर को उप पंजीयक अशोक सिंह परिहार ने खनिज अधिकारी सिंगरौली को एक पत्र लिखा था। पत्र में इस बात का जिक्र किया था कि सेवा प्रदाता अंकित दुबे पिता इन्द्र प्रसाद दुबे से माइनिंग लीज एवं समस्त कार्य न कराया जाए। आरोप लगाया है कि माइनिंग लीज उप पंजीयक कार्यालय में प्रस्तुत की जाती है, जहां इनके द्वारा दस्तावेज में हेराफेरी कर शासन के राजस्व की हानि की जाती है और अधिकारियों को गुमराह कर दस्तावेज प्रस्तुत किया जाता है। अब सवाल उठता है कि उप पंजीयक दफ्तर से सेवा प्रदाता अंकित दुबे को खनिज विभाग के माइनिंग लीज के स्टाम्प एवं पंजीयन के लिए किसने अधिकृत किया था। खनिज अधिकारी के द्वारा उक्त पत्र का उप पंजीयक अशोक सिंह परिहार को जवाब दे दिया गया है कि यहां से किसी भी सेवा प्रदाता को अधिकृत नही किया जाता है। अब सवाल उठाया जा रहा है कि उप पंजीयक ने पत्राचार क्यों किया ? इस पत्र के पीछे बड़ा राज छुपा है। ऐसी चर्चाएं हैं। वहीं यही भी आरोप है कि उप पंजीयक अपने सबसे नजदीकी सेवा प्रदाता को खनिज विभाग के माइनिंग लीज, स्टाम्प व पंजीयन शुल्क का कामकाज दिलाने का कवायद कर रहा है, ताकि अंकित दुबे की पकड़ कमजोर हो जाये। फिलहाल उप पंजीयक का उक्त पत्र इन दिनों काफी चर्चाओं में है।
जब स्टाम्प में हेराफेरी हो रही थी, साहब क्या कर रहे थे
सब रजिस्टार सिंगरौली अपने ही पत्र में घिरते नजर आ रहे हैं। उन्होंने खनिज अधिकारी को अवगत कराया है कि सेवा प्रदाता अंकि त दुबे द्वारा पूर्व में करीब 10 लीज में स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क की हेराफेरी करके प्रस्तुत किया गया। समस्त प्रकरण जांच के बाद कलेक्टर ऑफ स्टाम्प के पास वसूली के लिए भेजा जा चुका है। सवाल यह उठाया जा रहा है कि चल-अचल संपत्तियों के स्टाम्पों के अंतरण के जांच पड़ताल की समस्त जवाबदेही उप पंजीयक की होती है। जब सेवा प्रदाता स्टाम्प में हेराफेरी कर रहा था तो सब रजिस्टार उस वक्त क्या कर रहे थे, उनका ध्यान कहां था और अब अचानक उनकी नींद कैसे टूटी । इसमें कहीं न कहीं तालमेल किसी बात को लेकर बिगड़ा है। वह जग जाहिर है।
संवाददाता :- आशीष सोनी
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