कफ सिरप का कहर: किडनी फेल होने से 20 दिन में सात बच्चों की मौत


छिंदवाड़ा जिले में दूषित कफ सिरप से पिछले 20 दिनों में सात बच्चों की मौत हो गई और पांच अब भी भर्ती हैं। बायोप्सी रिपोर्ट में सिरप में डायएथिलीन ग्लायकॉल मिलने की पुष्टि हुई। प्रशासन ने नेक्सट्रो-डीएस और कोल्ड्रिफ सिरप पर रोक लगाई है। जांच जारी है, जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग उठ रही है।


सर्दी खांसी के चलते दूषित कप सिरप पीने से छिंदवाड़ा जिले में किडनी फेल होने से पिछले 20 दिनों में सात बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर बच्चों ने नागपुर के निजी अस्पतालों में दम तोड़ा। कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने कहा है कि आरंभिक जांच रिपोर्ट में दूषित कप सीरप से बच्चों की किडनियां फेल होने से मौतें हुई हैं। संबंधित कप सिरप को जिले में प्रतिबंधित कर दिया गया है। मामले में आगे जांच जारी है। हालांकि, सवाल यह है कि जिले में कफ सीरप पर पाबंदी लगा दी गई है, लेकिन इस दूषित दवा को बेचने वाले और बनाने वालों को कौन सजा देगा? उन्हें सरकारी कार्रवाई की खुराक कब मिलेगी?


पांच बच्चे अब भी भर्ती
छिंदवाड़ा के सीएमएचओ डॉ. नरेश गुन्नाडे ने बताया कि पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया था। 4 सितंबर से 26 सितंबर के बीच परासिया क्षेत्र में 6 मासूमों की मौत हुई है। 5 बच्चे अभी भी छिंदवाड़ा और नागपुर के अस्पतालों में भर्ती हैं। 27 सितंबर को बच्चों के सैंपल पुणे लैब भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही असली वजह सामने आ सकेगी।

कफ सिरप में मिला डायएथिलीन ग्लायकॉल : डॉ. नांदुलकर

छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. पवन नांदुलकर ने बताया कि जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें से कई की किडनी बायोप्सी जांच कराई गई। इसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि कफ सिरप में मिला डायएथिलीन ग्लायकॉल दूषित पाया गया है। यही सिरप इन बच्चों को दिया गया था, जिससे उनकी किडनी फेल हुई।

टॉक्सिन मीडिएटेड इंजरी

छिंदवाड़ा में बच्चों की मौतों के मामले में नागपुर लैब से आई किडनी बायोप्सी रिपोर्ट में टॉक्सिन मीडिएटेड इंजरी की पुष्टि हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि संभावित रूप से डाय एथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) से सिरप में कंटेमिनेशन हुआ हो सकता है, जिससे बच्चों की किडनी पर घातक असर पड़ा।

दो कफ सिरप पर रोक

छिंदवाड़ा और भोपाल में नेक्सट्रो-डीएस और कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया गया है। छिंदवाड़ा जिले में बच्चों की किडनी फेल होने से मौत की इसे ही वजह माना जा रहा है। ये कफ सिरप तमिलनाडु की किसी फार्मा कंपनी से बनकर आए थे। भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा ने स्पष्ट किया कि जब तक जांच रिपोर्ट पूरी नहीं हो जाती, तब तक दोनों कफ सिरप के उपयोग, बिक्री और वितरण पर रोक जारी रहेगी। उन्होंने डॉक्टर्स को सलाह दी है कि वे इन सिरप को मरीजों को न लिखें। 

विधायक ने उठाए सवाल

परासिया से कांग्रेस विधायक सोहन वाल्मीकि का कहना है कि अब तक कुल 7 मौतें हो चुकी हैं, जबकि प्रशासन का दावा है कि परासिया विकासखंड में 6 मौतें हुई हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग ने शुरुआत में मामले को गंभीरता से नहीं लिया।

संवाददाता :- आशीष सोनी