दिल्ली से आया था अलर्ट! फिर भी आठ बच्चों को दी जहरीली कोल्डिफ
बच्चों की अप्राकृतिक मौतों पर नागपुर और दिल्ली ने मध्यप्रदेश को अलर्ट किया था। इसके बावजूद जिम्मेदारों ने सबक नहीं लिया। जहरीली कोल्डिफ सिरप की खरीदी-बिक्री पर रोक लगाने से बचते रहे। तब तक आठ बच्चों ने सिरप का सेवन कर लिया और मौत की नींद सो गए। अब परिवार के लोग बिलख रहे हैं।
दिल्ली से 18 सितंबर को किया गया मप्र को अलर्ट
असल में छिदवाड़ा में जिन बच्चों को आरोपी डॉक्टर प्रवीण सोनी ने कोल्डिफ सिरप दी, 15 सितंबर से पहले इनमें से कई की तबीयत बिगड़ चुकी थी। कुछ की मौत हो चुकी थी। चूंकि कारण एक जैसे प्रतीत हो रहे थे, इसलिए संबंधित अस्पतालों ने स्वास्थ्य मंत्रालय की मेट्रोपॉलिटन सर्विलांस यूनिट (एमएसयू) को खबर किया। एमएसयू ने 16 सितंबर को केंद्र को अवगत कराया। छानबीन के बाद 18 सितंबर को मध्यप्रदेश को अलर्ट भेजा गया। कुछ अधिकारियों को इसी दिन मिला तो कुछ को भनक 19 सितंबर को लगी। इसके बावजूद सिरप पर बैन नहीं लगाया। न ही कोई एडवाइजरी जारी की। फलस्वरूप 16 और 18 सितंबर के बाद आठ परिवारों के लोग अपने बच्चों को डॉ. प्रवीण सोनी व अन्य के पास लेकर पहुंचे थे।
डॉ. सोनी ने किया उल्लंघनः पटेल
स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद शिवाजी पटेल ने शनिवार रात जिला अस्पताल का निरीक्षण किया। मीडिया से चर्चा में कहा कोल्ड्रिफ सिरप डॉक्टर (प्रवीण सोनी) की पत्नी के मेडिकल पर ही उपलब्ध था। 4 वर्ष तक के बच्यों को सिरप लिखना नियमों का उल्लंघन है। इसके बाद भी लिखा। प्रथम वृष्टया ही वह दोषी है।
दिल्ली, मध्यप्रदेश और छिंदवाड़ा के स्तर पर अनदेखी
नागपुर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्होंने पहले खबर स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों को की। चाहते तो वहीं से देश में जहरीली दवाओं पर बैन लगाया जा सकता था। केंद्र के जिम्मेदार अधिकारियों ने मध्यप्रदेश को एक से तीन दिन के अंतर के बाद नागपुर एमएसयू का अलर्ट ट्रांसफर किया। उसका कोई अपडेट भी नहीं लिया। मप्र के अधिकारी कार्रवाई में कुछ तेजी तो लाए लेकिन सिरप बैन नहीं किया। रिपोर्ट का इंतजार करते रहे। छिंदवाड़ा प्रशासन को भी नागपुर में बच्चों की मौत की भनक लग गई थी. लेकिन किसी ने उस रोजी से काम नहीं किया, जिसकी जरूरत थी।

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