जितना मजाक सनातन धर्म के लोग अपने धर्म का उड़ाते हैं, उतना कोई मुसलमान और ईसाई भी नहीं उड़ाता
गरबा डांडिया पर बागेश्वर महाराज ने एक अपील की है। बागेश्वर पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने गरबा पंडालों में गरबा को लेकर अहम बातें बोली है। शास्त्री ने कहा कि केवल वही युवक–युवतियाँ प्रवेश करें जिनकी पोशाकें पूरी हों। नवरात्र में गरबा और डांडिया का चलन चरम पर है, लेकिन इसके नाम पर बढ़ती फूहड़ता और अशोभनीय पोशाकों पर बागेश्वर महाराज ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि गरबा और डांडिया परंपरा का हिस्सा हैं, परंतु कम कपड़े पहनकर, गलत दृष्टिकोण से और केवल रील व फोटो के लिए खेलने वाले बेटा–बेटियों को देवी उपासना का पुण्य प्राप्त नहीं होता। महाराज ने स्पष्ट कहा कि गरबा अवश्य हो, लेकिन हमारी भारतीय परंपरा और मां दुर्गा की महिमा का मजाक न बने। उन्होंने आग्रह किया कि गरबा पंडालों में केवल वही युवक–युवतियाँ प्रवेश पाएँ, जिनकी पोशाकें पूरी हों।
दोगले हिंदुओं से दिक्कत- धीरेंद्र शास्त्री
महाराज ने कहा, “जब हम दूसरे मजहब के आयोजनों में शामिल नहीं होते, तो उन्हें भी हमारे धार्मिक उत्सवों में नहीं आना चाहिए।” उन्होंने अफसोस जताया कि जितना मजाक सनातन धर्मावलंबी स्वयं अपने धर्म का बनाते हैं, उतना अन्य मजहब के लोग भी नहीं करते। नवरात्रि में नौ दिन दुर्गा–दुर्गा करने वाले दसवें दिन दारू और मुर्गा करते हैं, यही सबसे बड़ी विडंबना है।

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