विद्युत विभाग का 'करंट': रीवा में सामान्य वर्ग को ₹100 की जगह ₹1300 का बिल; मनमानी बिलिंग से ग्रामीण उपभोक्ता त्रस्त


रीवा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में इस बार बिजली विभाग ने सामान्य वर्ग के उपभोक्ताओं को एक ऐसा 'करंट' दिया है, जिससे वे उबर नहीं पा रहे हैं। जिन उपभोक्ताओं का मासिक बिजली बिल बमुश्किल ₹100 की सीमा के आसपास रहता था, वह इस महीने सीधे ₹1300 के पार पहुँच गया है। यह 1200% से अधिक की अप्रत्याशित वृद्धि किसी बड़े बकाये या मीटर खराबी का नतीजा नहीं, बल्कि विभाग की कथित मनमानी व्यवस्था का परिणाम है।

सबसे हैरानी की बात यह है कि बिलों में यह भारी उछाल ठंड के मौसम की शुरुआत में आया है। यह वह समय है जब एयर कंडीशनर या कूलर जैसे अधिक बिजली खपत वाले उपकरण पूरी तरह बंद हो चुके होते हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि भीषण गर्मी के महीनों में भी, जब बिजली की खपत अपने चरम पर थी, तब भी बिल इतने अधिक नहीं आए थे। यह स्पष्ट विसंगति उपभोक्ताओं के गले नहीं उतर रही है और विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

बिना बताए बढ़ाया लोड, 2 HP को बना दिया 5 HP

उपभोक्ताओं की परेशानी सिर्फ बढ़े हुए बिल तक सीमित नहीं है। ग्रामीण उपभोक्ताओं का आरोप है कि विभाग ने इस वृद्धि को जायज ठहराने के लिए पर्दे के पीछे से खेल किया है। कई मामलों में, उपभोक्ताओं को बिना कोई पूर्व सूचना दिए, उनकी सहमति लिए या मौके पर जांच किए, उनका स्वीकृत विद्युत 'लोड' मनमाने ढंग से बढ़ा दिया गया है। लोड बढ़ते ही फिक्स्ड चार्ज और प्रति यूनिट दर, दोनों में इजाफा हो जाता है, जिसका सीधा असर अंतिम बिल पर दिख रहा है।

इसके अतिरिक्त, किसानों के साथ भी ज्यादती की शिकायतें बड़े पैमाने पर सामने आ रही हैं। आरोप है कि जिन किसानों के पास सिंचाई के लिए 2 एचपी का मोटर पंप है, उन्हें विभाग द्वारा 5 एचपी का बिल थमाया जा रहा है। यह न केवल बिल की राशि को दोगुना से भी अधिक कर रहा है, बल्कि उन किसानों की कृषि लागत पर भी सीधा प्रहार है जो पहले ही मौसम की मार झेल रहे हैं।

सुनवाई के लिए भटक रहे उपभोक्ता

इस दोहरी मार से ग्रामीण क्षेत्र का सामान्य उपभोक्ता त्रस्त है। एक तरफ बढ़ा हुआ बिल उनके घर का मासिक बजट बिगाड़ रहा है, तो दूसरी तरफ विभाग की उदासीनता उन्हें और परेशान कर रही है। जब पीड़ित उपभोक्ता इस अघोषित वृद्धि और गलत बिलिंग के खिलाफ शिकायत करने के लिए विद्युत मंडल के दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं, तो उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। बिल सुधार के लिए दिए गए आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, और न ही कोई अधिकारी संतोषजनक जवाब देने को तैयार है।

विभाग का यह मनमाना रवैया और पारदर्शिता की कमी आम जनता में भारी आक्रोश पैदा कर रही है। ऐसा लगता है कि विभाग राजस्व वसूली के लक्ष्य को पूरा करने के लिए नियमों को ताक पर रखकर सामान्य वर्ग को निशाना बना रहा है।

संवाददाता :- आशीष सोनी