कलेक्टर के संवेदनशील प्रयास से नेत्रहीन युवा कलाकार को मिली नई आशा
जन्म से नेत्रहीन संतोष, पिता जय प्रताप सिंह परिस्थितियों से कभी पराजित नहीं हुए। उनका प्रारंभिक शिक्षा सफर नव प्रवाह समिति द्वारा संचालित सीडब्ल्यूएसएन छात्रावास से शुरू हुआ, जहाँ उन्होंने पाँचवीं तक पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने चित्रकूट के तुलसी प्रज्ञा चक्षु उच्चत्तर माध्यमिक वधिर विद्यालय, कमातगिरी में कक्षा 6 से 12वीं तक शिक्षा पूरी की। इसी दौरान संगीत उनके जीवन का आधार बनकर उभरा। आज संतोष सरस्वती शिशु मंदिर, जयंत में संगीत शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। बच्चों को संगीत सिखाते हुए वे यह भी दर्शाते हैं कि कठिनाइयों के बीच भी सपने पूरे किए जा सकते हैं।नव प्रवाह समिति के अध्यक्ष अमित द्विवेदी ने कलेक्टर और हिंडाल्को महान का आभार व्यक्त किया। कलेक्टर ने कलाकार संतोष से कहा कि आपका जीवन युवाओं के लिए एक प्रेरणा का श्रोत है। मैं आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं । इसी तरह पूरे आत्मवेश्वास से अपनी प्रतिभा बिखेरते रहे खुद को और बेहतर बनाने के साथ साथ दूसरों को भी इस कला की शिक्षा दें। संतोष की कहानी इस बात का प्रमाण है कि दिव्यांगता बाधा नहीं, बल्कि हौसले की पहचान है—और जब समाज साथ खड़ा हो, तो हर सपना सुर बनकर गूंजता है।
संवाददाता :- आशीष सोनी

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