रेप केस में बढ़ी समीर मोदी की मुश्किल, दिल्ली पुलिस की चार्जशीट पर हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस
दरअसल, 6 नवंबर 2023 को हुई पिछली सुनवाई में दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संजय लाओ ने अदालत को आश्वासन दिया था कि समीर मोदी की ओर से प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों की जांच अधिकारी (IO) द्वारा उचित जांच की जाएगी। हालांकि बाद की सुनवाई में संजय लाओ ने बताया कि ये दस्तावेज 7 नवंबर 2025 की देर शाम को ही जमा किए गए थे। उन्होंने दलील दी कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNS) की धारा 193(2) के अनुसार चार्जशीट 60 दिनों के भीतर दाखिल करना अनिवार्य है। “यदि जांच अधिकारी इन दस्तावेजों का विश्लेषण करते, तो यह कानूनी समय सीमा समाप्त हो जाती,”
संजय लाओ ने दलील दी कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNS) की धारा 193(2) के तहत चार्जशीट 60 दिनों के भीतर दाखिल करना अनिवार्य है। “यदि जांच अधिकारी इन दस्तावेजों की जांच करते, तो यह समय सीमा समाप्त हो जाती,” उन्होंने अदालत को बताया। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम शर्मा (साथ में अधिवक्ता सिद्धार्थ यादव) ने कहा कि दस्तावेज देर से जमा करने की वजह खुद पुलिस थी।
अब पूरक चार्जशीट (Supplementary Chargesheet) दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। दिल्ली सरकार के स्थायी वकील (Standing Counsel) संजय लाओ ने अदालत को बताया कि “जांच अधिकारी (IO) 7 नवंबर 2025 को समीर मोदी की ओर से जमा किए गए दस्तावेजों की जांच करेंगे। इसके बाद ट्रायल कोर्ट की अनुमति लेकर, इन दस्तावेजों को पूरक चार्जशीट के साथ दाखिल किया जाएगा।” अदालत ने इस बयान को रिकॉर्ड पर दर्ज कर लिया है। इससे पहले 6 नवंबर को, दिल्ली हाई कोर्ट ने समीर मोदी की उस याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द (quashing) करने की मांग की थी। मामले में समीर मोदी को 18 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था, जबकि 25 सितंबर को साकेत जिला अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी। पुलिस ने 11 नवंबर को हाई कोर्ट को यह जानकारी दी थी कि चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है, और अब पूरक रिपोर्ट में दस्तावेजों का विश्लेषण जोड़ा जाएगा।

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