रीवा में रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ाए पटवारी और सर्वेयर, लोकायुक्त ने की बड़ी कार्रवाई


 मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है. सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए बिजली टावर स्थापना के बदले मिलने वाले मुआवजे को बढ़ाकर 200 प्रतिशत कर दिया गया है. बिजली की हाईटेंशन लाइनों और ट्रांसमिशन टावरों के कारण होने वाले भूमि अधिग्रहण विवादों को कम करने के उद्देश्य से सरकार ने मुआवजा दरों में बड़ा संशोधन किया है.

नई नीति के आते ही किसानों में संतोष देखने को मिल रहा है, क्योंकि अब उन्हें उनकी भूमि का वास्तविक और न्यायसंगत मूल्य मिलेगा. इससे किसानों को भूमि का उचित मूल्य मिलेगा और सरकारी परियोजनाओं में सहमति प्रक्रिया आसान होगी.

भूमि अधिग्रहण नियमों में बदलाव

मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के हित में भूमि अधिग्रहण संबंधी नियमों में बड़ा बदलाव किया है. अब राज्य में 66 केवी या उससे अधिक क्षमता की हाईटेंशन लाइन खेतों के ऊपर से गुजरने पर किसानों को कलेक्टर गाइडलाइन के आधार पर 200 प्रतिशत क्षतिपूर्ति दी जाएगी. पहले यह मुआवजा सिर्फ 85 प्रतिशत था. सरकार का कहना है कि यह निर्णय बिजली आपूर्ति व्यवस्था को मजबूत करने, ट्रांसमिशन लाइन विस्तार में आने वाली रुकावटें दूर करने और किसानों को भूमि उपयोग का वास्तविक प्रतिफल देने के लिए लिया गया है.

टावर स्थापना पर भी मिलेगा पूरा मुआवजा

राजस्व विभाग ने स्पष्ट किया है कि जहां-जहां ट्रांसमिशन टावर लगाए जाएंगे, वहां टावर के चारों लेग और अतिरिक्त एक-एक मीटर क्षेत्र का पूर्ण मुआवजा दिया जाएगा. हालांकि जमीन किसान के कब्जे में ही रहेगी, यानी टावर लगने के बावजूद किसान उस खेत का उपयोग कर सकता है.

ट्रांसमिशन लाइन के नीचे 30 प्रतिशत मुआवजा

आदेश के अनुसार, हाईटेंशन लाइन की रो (राइट ऑफ वे) के तहत आने वाले हिस्से के लिए कलेक्टर गाइडलाइन के 30 प्रतिशत के बराबर क्षतिपूर्ति दी जाएगी. इस क्षेत्र में कोई नया निर्माण करने की अनुमति नहीं होगी, ताकि सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित हो सके. जिला कलेक्टर भूमि के बाजार मूल्य और गाइडलाइन के आधार पर मुआवजा निर्धारित करेंगे. सरकार ने विभिन्न केवी लाइन के लिए रो क्षेत्र भी सार्वजनिक कर दिया है.

संवाददाता :- आशीष सोनी