दिल्ली-NCR में अब पेट्रोल-डीजल वाहनों पर लगाया जा सकता है बैन
कई VIP और बड़ी कंपनियां कर रहीं EV का इस्तेमाल
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान कहा कि कुछ मामलों से जुड़े अनुभवों के आधार पर यह विचार सामने आया है कि अब इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में भी बड़ी और प्रीमियम श्रेणी की कारें बाजार में उपलब्ध हैं। ये वाहन उतनी ही सुविधाजनक हैं जितनी कि परंपरागत ईंधन पर चलने वाली लग्जरी गाड़ियां, जिनका उपयोग कई VIP और बड़ी कंपनियों द्वारा किया जाता है। उन्होंने कहा, “मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता क्योंकि इससे कोई पूर्वाग्रह पैदा हो सकता है। लेकिन शुरुआत में महंगे वाहनों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा सकता है। इससे आम आदमी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि देश की आबादी का बहुत छोटा हिस्सा ही ऐसे वाहनों को खरीदने में सक्षम है।”
EV नीति की फिर से समीक्षा की जरूरत
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह भी संकेत दिया कि इलेक्ट्रिक वाहन (EV) नीति की दोबारा समीक्षा की आवश्यकता हो सकती है। अदालत ने कहा कि इस नीति को लागू हुए पाँच साल हो चुके हैं, इसलिए मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इसे पुनः परखा जाना चाहिए। सुनवाई के अंत में अटॉर्नी जनरल ने पीठ को सूचित किया कि अब तक जारी की गई अधिसूचनाओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को चार सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।
कोर्ट के सुझाव से सरकार सहमत
अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के सुझाव से सहमति जताते हुए कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के संबंध में अभी भी कई महत्वपूर्ण कार्य बाकी हैं। उन्होंने बताया कि सरकार के भीतर इस विषय पर कई बैठकों का आयोजन हो चुका है, और अब इसे गहनता से देखा जाना चाहिए। भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर विस्तार से विचार करके EV नीति की सम्पूर्ण रूपरेखा तैयार की जाएगी।
संवाददाता :- आशीष सोनी

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