सचिन पायलट ने SIR प्रक्रिया को बताया लोकतंत्र पर प्रहार, चुनाव आयोग और बीजेपी पर उठाए सवाल
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट ने जगदलपुर प्रवास के दौरान SIR प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग और बीजेपी पर सीधा राजनीतिक हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि मतदाता सूची में छेड़छाड़ देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर गंभीर प्रहार है।
“बिहार जैसी स्थिति छत्तीसगढ़ में दोहराने की कोशिश”
सचिन पायलट ने दावा किया कि जिस तरह बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लाखों वोटरों के नाम सूची से हटाए गए थे, उसी पैटर्न को अब छत्तीसगढ़ में लागू करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लगातार सबूत और दस्तावेज प्रस्तुत कर रही है, लेकिन चुनाव आयोग की ओर से स्पष्ट और ठोस कार्रवाई नज़र नहीं आ रही।
चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल
पायलट ने कहा कि मतदाता सूची से नाम हटाने जैसी गंभीर प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता आवश्यक है, लेकिन कई अहम सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिले हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग को इसमें स्पष्टता बरतनी चाहिए, क्योंकि यह मुद्दा सीधे-सीधे लोकतंत्र से जुड़ा है।
बीजेपी पर भी साधा निशाना
पत्रवार्ता में उन्होंने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि घुसपैठ का मुद्दा केवल चुनाव के समय उठाया जाता है, जबकि 11 साल के शासन में केंद्र सरकार कितने लोगों को देश से बाहर कर सकी—इसका आंकड़ा देने से बचती है।
“दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के वोटर सुरक्षित रहेंगे”
पायलट ने भरोसा दिलाया कि कांग्रेस किसी भी कीमत पर दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्ग के मतदाताओं का नाम सूची से कटने नहीं देगी। उन्होंने कहा कि इन समुदायों की सुरक्षा और अधिकारों को किसी भी सूरत में प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।
नक्सल विरोधी अभियान पर भी बोले पायलट
पत्रवार्ता के दौरान उन्होंने बस्तर में चल रहे नक्सल विरोधी अभियान पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। पायलट ने कहा कि कांग्रेस ने बस्तर में कई बड़े नेता खोए हैं और पार्टी हमेशा हिंसा के खिलाफ खड़ी रही है।उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना ज़रूरी है और हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।जगदलपुर में पायलट के इस बयान ने SIR प्रक्रिया को लेकर सियासत को और तेज कर दिया है।
पूर्व विधायक गुलाब कमरो का कटा नाम : महंत
नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए बड़ा खुलासा किया कि भरतपुर के पूर्व विधायक गुलाब कमरो का नाम उनके ही पैतृक गांव की मतदाता सूची से हटा दिया गया है। महंत ने बताया कि कई बार खोजबीन के बाद उनका नाम रायगढ़ जिले के एक गांव की मतदाता सूची में पाया गया।उन्होंने आरोप लगाया कि जब कांग्रेस के पूर्व विधायक तक चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया से प्रभावित हो सकते हैं, तो आम लोगों को कितनी परेशानी झेलनी पड़ रही होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
संवाददाता :- खुशी ढ़िमोले

0 Comments