सगरा थाना प्रभारी अंकिता मिश्रा की बढ़ सकती हैं मुश्किलें वर्दी की आड़ में मनमानी पड़ी भारी

रीवा जिले के सगरा थाना प्रभारी अंकिता मिश्रा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। उच्च न्यायालय जबलपुर में दायर एक याचिका के बाद न्यायालय ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से स्पष्टीकरण तलब करते हुए सगरा थाने की सीसीटीवी वीडियो रिकॉर्डिंग मंगाई है। आरोप है कि थाना प्रभारी और उनके स्टाफ ने वर्दी व पद का दुरुपयोग करते हुए एक परिवार के मूलभूत अधिकारों का हनन किया।

मामला ग्राम मुड़ियारी, तहसील सिरमौर, थाना सगरा निवासी राजेश शुक्ला से जुड़ा है। राजेश शुक्ला का अपने चाचा से जमीनी विवाद चल रहा था, जिस पर कमिश्नर न्यायालय से यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश थे। विवादित भूमि पर राजेश शुक्ला द्वारा धान की बुवाई की गई थी, लेकिन आरोप है कि उनके चाचा ने सगरा थाने की पुलिस की मिलीभगत से फसल कटवा ली।

राजेश शुक्ला का कहना है कि न्यायालय से स्थगन आदेश होने के बावजूद पुलिस ने उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की। इस संबंध में उन्होंने पुलिस अधीक्षक समेत अन्य अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई।

आरोप है कि इसके बाद सगरा थाना प्रभारी अंकिता मिश्रा और उनके स्टाफ ने राजेश शुक्ला व उनके परिवार पर सीएम हेल्पलाइन की शिकायत बंद कराने का दबाव बनाया और धमकी दी कि शिकायत बंद नहीं की गई तो पुलिस अपने तरीके से निपटेगी। जब परिवार ने दबाव में आकर शिकायत बंद नहीं की, तो पुलिस ने कथित रूप से राजेश शुक्ला के पुत्र सौरभ शुक्ला और उनकी पत्नी गुड्डी शुक्ला को जबरन घर से उठाकर थाने ले जाकर उनके मोबाइल छीन लिए और सीएम हेल्पलाइन की शिकायत खुद बंद कर दी।

परिवार का आरोप है कि सौरभ शुक्ला, जो विश्वविद्यालय का विधि छात्र है, के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार करते हुए उसे लॉकअप में बंद किया गया, जबकि उनकी पत्नी को बिना किसी आरोप के रात तक थाने में बैठाए रखा गया। बाद में राजेश शुक्ला को भी थाने बुलाकर उनका मोबाइल लेकर उनकी शिकायत बंद कराई गई। इसे मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया गया है।

इन घटनाओं के बाद राजेश शुक्ला, उनकी पत्नी और बेटे ने उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका क्रमांक WP/46553/2025 दायर की। याचिका में संविधान के मूलभूत अधिकारों के हनन, वर्दी और पद के दुरुपयोग के आरोप लगाते हुए थाना प्रभारी को निलंबित करने और आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई है।

मामले को गंभीरता से लेते हुए उच्च न्यायालय ने डीजीपी मध्यप्रदेश, आईजी रीवा जोन और पुलिस अधीक्षक रीवा से स्पष्टीकरण के साथ दस्तावेज मांगे हैं। साथ ही सगरा थाने की 13.11.2025 से 15.11.2025 तथा 24.10.2025 से 26.10.2025 तक की सीसीटीवी वीडियो रिकॉर्डिंग तलब की है।

न्यायालय के इस आदेश के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। यदि आरोप प्रमाणित होते हैं तो थाना प्रभारी अंकिता मिश्रा पर नौकरी जाने के साथ-साथ जेल जाने की भी नौबत आ सकती है। उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप पांडेय कर रहे हैं, जो रीवा जिले की सिरमौर तहसील अंतर्गत मऊ गांव के निवासी हैं।

संवाददाता :- आशीष सोनी