शिक्षा विभाग ने शुरू किया प्रदेश-स्तरीय बड़ा पुनर्गठन अभियान
मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग ने इस सत्र में ऐतिहासिक फैसला लेते हुए प्रदेशभर के लगभग 25,000 छात्रों के स्कूल बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। विभाग का कहना है कि यह कदम शिक्षा गुणवत्ता सुधार, कम छात्रसंख्या वाले स्कूलों के विलय और संसाधनों के समुचित उपयोग को ध्यान में रखकर लिया गया है।
राज्यभर में ऐसे सैकड़ों स्कूल हैं जहाँ छात्रों की संख्या बेहद कम है या शिक्षकों की उपलब्धता सीमित रही है। कई स्कूलों में ICT लैब, स्मार्ट क्लासरूम या STEM सुविधाएँ न होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। इसी स्थिति को सुधारने के लिए शिक्षा विभाग ने “स्कूल पुनर्गठन मॉडल” लागू किया है।
कम छात्रसंख्या वाले स्कूल होंगे मर्ज
विभागीय आदेश के अनुसार जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या 20–30 के बीच या इससे कम पाई गई है, उन्हें निकटतम बड़े विद्यालयों में विलय किया जाएगा।
इन स्कूलों के सभी छात्रों को नए स्कूलों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जिससे उन्हें बेहतर शिक्षक, लैब, पुस्तकालय और स्मार्ट कक्षाओं की सुविधाएँ मिल सकें।
अभिभावकों की चिंताओं का समाधान
कई अभिभावकों ने दूरी, नए माहौल और ट्रांसपोर्ट जैसी चिंताएँ व्यक्त कीं। इस पर शिक्षा विभाग का कहना है—
कोई भी छात्र असुविधा में नहीं रहेगा। विभाग द्वारा निःशुल्क बस सुविधा और मार्गदर्शन शिविर शुरू किए जा रहे हैं।
जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे प्रत्येक प्रभावित छात्र का रिकॉर्ड तैयार करें और सुचारू रूप से स्थानांतरण प्रक्रिया सुनिश्चित करें।
शिक्षकों और संसाधनों का बेहतर उपयोग
विभाग का दावा है कि इस पुनर्गठन से शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ेगी
ICT आधारित शिक्षा को गति मिलेगी
प्रयोगशालाएँ, खेल सामग्री और डिजिटल सुविधाएँ अधिक छात्रों तक पहुँचेंगी
छोटे, निष्क्रिय स्कूलों का बोझ कम होगा।
आने वाले महीनों में होगा पूर्ण लागू
राज्य शिक्षा विभाग ने बताया कि यह निर्णय अगले सत्र तक चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
विभाग का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में प्रदेश में एकीकृत, आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मॉडल स्थापित किया जा सके
संवाददाता :- मोहम्मद आरिफ

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