सरई कॉलेज में छात्राओं के नाम पर लाखों का गबन,लीपापोती में जुटा कॉलेज प्रबंधन


सिंगरौली  जिले के शासकीय महाविद्यालय सरई गंभीर आरोपों के घेरे में आ गया है। इस बार मामला किसी छोटी प्रशासनिक चूक का नहीं, बल्कि शासन की जनकल्याणकारी योजना में खुली सेंधमारी का है, जिसमें कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही और जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी से शासन को करीब 5 लाख रुपये से अधिक का सीधा राजस्व नुकसान हुआ है।

मामला लाडली बहना योजना से जुड़ा है, जिसके तहत शासन द्वारा पात्र छात्राओं को 5 हजार की सहायता राशि सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है। चौंकाने वाली बात यह है कि शासकीय महाविद्यालय सरई में करीब 89 छात्राओं के खातों में यह राशि एक बार नहीं, बल्कि दो-दो बार ट्रांसफर कर दी गई। यह त्रुटि न तो मामूली है और न ही तकनीकी, बल्कि यह पूरे सिस्टम की घोर लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। सूत्रों की मानें तो यह राशि ट्रांसफर करने से पहले कॉलेज स्तर पर छात्राओं की सूची का सत्यापन होना चाहिए था, जिसकी जिम्मेदारी वित्तीय प्रभारी प्राचार्य और संबंधित प्रभारी अधिकारियों की होती है। इसके बावजूद बिना पर्याप्त जांच-पड़ताल के डाटा शासन को भेज दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप शासन को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। जब यह मामला सामने आया, तब कॉलेज और उच्च शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। स्थिति संभालने के लिए आनन-फानन में प्रशासन ने छात्राओं से राशि की रिकवरी कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी। सवाल यह है कि गलती अधिकारियों की और सजा छात्राओं को, जिन छात्राओं ने कोई धोखाधड़ी नहीं की, उनके खातों में शासन की राशि आई, अब उन्हीं से वसूली करना किस हद तक न्यायसंगत है। यह पहला मौका नहीं है जब सिंगरौली जिले में इस तरह की अनियमितता उजागर हुई हो। इससे पहले चितरंगी महाविद्यालय में भी इसी तरह का मामला सामने आया था, जहाँ आज भी छात्र-छात्राओं से राशि की रिकवरी की जा रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि डीड कॉलेज में योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर एक खतरनाक लापरवाह संस्कृति पनप चुकी है।

डिग्री कॉलेज बैढ़न के प्राचार्य की भूमिका संदिग्ध

इस पूरे प्रकरण में डिग्री कॉलेज बैढ़न के प्राचार्य की भूमिका भी गंभीर सवालों के घेरे में है। सूत्र बताते हैं कि वे पहले से ही भ्रष्टाचार से जुड़े कई आरोपों का सामना कर रहे हैं, बावजूद इसके उनके विरुद्ध अब तक किसी भी प्रकार की कठोर कार्रवाई नहीं की गई। बताया जा रहा है कि उन्हें राज्य स्तर पर सत्ता में बैठे कुछ प्रभावशाली लोगों का संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण इतने गंभीर आरोपों के बाद भी वे लगातार सिस्टम में बने हुए हैं। जानकारी के अनुसार संबंधित प्राचार्य बैढ़न एमयू सिद्धकी का स्थानांतरण भी हो चुका है, लेकिन हैरत की बात यह है कि आज तक उन्हें पूर्णत: कार्यमुक्त नहीं किया गया। सवाल उठ रहा है कि क्या स्थानांतरण की फाइलें भी राजनीतिक संरक्षण और विभागीय सांठ-गांठ की भेंट चढ़ चुकी हैं।

अब तक किसी भी जिम्मेदार पर नही हुई कार्रवाई 

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले में अब तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी पर एफआईआर, विभागीय जांच या निलंबन जैसी सख्त कार्रवाई नहीं हुई है। उल्टा प्रशासन अपनी नाकामी छिपाने के लिए छात्राओं से पैसे वापस लेकर मामला ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश कर रहा है। यह मामला केवल आर्थिक अनियमितता का नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की नैतिक विफलता का भी प्रतीक है। जिन योजनाओं का उद्देश्य छात्राओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना था, वही योजनाएँ आज उनके लिए मानसिक दबाव और परेशानी का कारण बन रही हैं।अब बड़ा सवाल यह है कि क्या शासन वास्तव में इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराएगा, क्या दोषी अधिकारियों और प्राचार्य पर कार्रवाई होगी या फिर हमेशा की तरह मामला कुछ दिनों में दबा दिया जाएगा।

इनका कहना:-

तकनीकी त्रुटी के कारण छात्राओं के खाते में दो बार राशि ट्रांसफर कर दी गई। छात्राओं से कलेक्शन किया जा रहा है और छात्राएं राशि वापस कर रही हैं।

इन्द्रजीत पटेल

प्रभारी प्राचार्य, शा.महावि. सरई

संवाददाता :- आशीष सोनी