माधवराव सप्रे पत्रकार व लेखन के क्षेत्र में ध्रुव तारे के समान हैः डॉ. आशीष द्विवेदी
- नगर परिषद अध्यक्ष ने सप्रे जी की मूर्ति नगर में स्थापित करने का लिया संकल्प
- सप्रे जयंती पर 22 स्कूलों के 45 उत्कृष्ठ विद्यार्थियों सहित 8 अलग-अलग विधाओं के परांगत हुए सम्मानित
माधवराव सप्रे भारतबोध उनके चिंतन और चिति का हिस्सा था। वे अपनी पत्रकारिता, साहित्य लेखन, संपादन,अनुवाद कर्म और भाषणकला से एक ही चेतना भारतीय जन में भरना चाहते हैं वह है भारतबोध। सप्रे जी का सही मूल्यांकन अनेक कारणों से नहीं हो सका। किंतु हम उनकी रचना, सृजन और संघर्ष से भरी यायावर जिंदगी को देखते हैं, तो पता चलता है कि किस तरह उन्होंने अपने को तपाकर भारत को इतना कुछ दिया। उनका भी भाव शायद यही रहा होगा- चाहता हूं ‘मातृ-भू तुझको अभी कुछ और भी दूं। यह बात माधवराव सप्रे की जन्मस्थली पथरिया में आयोजित सप्रे जी की 152 वीं जयंती पर महाविद्यालय ऑडिटोरियम में आयोजित प्रतिभा सम्मान कार्यक्रम के दौरान इंक मीडिया के निर्देशक डॉ. आशीष द्विवेदी ने कही।
उन्होने बताया कि धन्य है पथरिया की मिट्टी जहां माधवराव सप्रे, आचार्य कृष्ण विनायक फड़के जैसे साहित्यकार, अजब श्री दास जी महाराज फतेहपुर, राधेश्याम दद्दा जी, आचार्य विरागसागर, आचार्य विनिश्चय सागर जैसे ईश्वर रूपी संत, सह्रोद्रा राय जैसे राजनेता जिन्होंने गोवा मुक्ति आंदोलन में हिस्सा लिया और चार गोली लगने के बाद भी तिरंगे को झुकने नहीं दिया। ये सभी पथरिया की मिट्टी में पैदा हुए और राष्ट्रपटल पर ध्रुव तारे के सामान चपक स्थापित की है।
तिलक से प्रभावित थे सप्रे जी
वही विश्वविद्यालय के डॉ. के कृष्णा राव सर ने कहा कि माधवराव सप्रे मराठीभाषी होने के बाद भी उन्हें हिंदी नवजागरण का पुरोधा कहा गया तो इसके विशिष्ट अर्थ हैं। उनके संपादन में निकले पत्र ‘छत्तीसगढ़ मित्र’, ‘हिंदी केसरी’ इसकी बानगी हैं। वे ‘कर्मवीर’ जैसे विशिष्ठ प्रकाशन के मूल में रहे। उसके प्रेरणाश्रोत रहे। पत्रकारिता को राष्ट्रीय और लोकधर्मी संस्कार देने वाले वे विरल संपादकों में एक हैं। सप्रे जी लोकमान्य तिलक से बहुत प्रभावित थे। उनका समूचा लेखन इसीलिए भारतबोध की अनुभूति से प्रेरित है।
वही
सप्रे मूर्ति की होगी स्थापना
कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के रूप में उपस्थित पथरिया नगर परिषद के अध्यक्ष सुंदरलाल विश्वकर्मा ने बताया कि लोगों को राष्ट्र के काम के लिए प्रेरित करना सप्रे जी के भारतप्रेम का अनन्य उदाहरण है। उन्होने अनेक संस्थाओं की स्थापना करते हैं। जिनमें हिंदी सेवा की संस्थाएं हैं, सामाजिक संस्थाएं तो विद्यालय भी हैं। जबलपुर में हिंदी मंदिर, रायपुर में रामदासी मठ, जानकी देवी पाठशाला इसके उदाहरण हैं। 19 जून,1871 को मध्यप्रदेश के एक जिले दमोह के पथरिया में जन्में सप्रे जी 23 अप्रैल,1926 को रायपुर में देह त्याग देते हैं। कुल 54 वर्षों की जिंदगी जीकर वे कैसे खुद को सार्थक करते हैं, सब कुछ सामने है। उनके बारे में गंभीर शोध और अध्ययन की बहुत आवश्यकता है। उनकी 152 वीं जयंती प्रसंग ने हमें यह अवसर दिया कि हम उन्हे ओर करीब से जान पाए। इस अवसर पर उन्होने घोषणा करते हुए कहा कि जनता के आशीर्वाद से हम जल्द ही सप्रे जी की मूर्ति नगर के मुख्य स्थान पर स्थापित करेंगे।
इस अवसर पर पुरातत्व विभाग दमोह के पुरातत्वविद् डॉ. सुरेंद्र चौरसिया ने बताया कि आजादी के तमाम नायकों की तरह माधवराव सप्रे को न तो समाज ने उस तरह याद किया न ही साहित्य की समालोचना में उन्हें उस तरह याद किया गया, जिसके वे पात्र थे। निश्चित ही भारतीय भावधारा, भारतबोध की उनकी आध्यात्मिक धारा की पत्रकारिता के नाते उन्हें उपेक्षित किया गया। भारत के धर्म, उसकी अध्यात्म की धारा से जुड़कर भारत को चीन्हने की कोशिश करने वाला हर नायक क्यों उपेक्षित है, यह बातें आज लोक विमर्श में हैं। शायद इसीलिए आज 152 वर्षों के बाद भी माधवराव सप्रे को हिंदी जगत न उस तरह से जानता है न ही याद करता है। उनकी भावभूमि और वैचारिक अधिष्ठान भारत की जड़ों से जुड़ा हुआ है। वे इस देश को उसके नौजवानों को जगाते हुए भारतीयता के उजले पन्नों से अवगत कराना नहीं भूलते। इसीलिए वे गीता के रहस्य खोजते हैं, महाभारत की मीमांसा करते हैं, समर्थ गुरू रामदास के सामर्थ्य से देशवासियों को अवगत कराते हैं। वे नौजवानों के लिए लेख मालाएं लिखते हैं। उनका यह प्रदेय बहुत खास है।
सप्रे जी ने अनेक साहित्यकारों का किया निर्माण
वही कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के लाइब्रेरियन संजीव सराफ ने बताया कि लोगों को राष्ट्र के काम के लिए प्रेरित करना सप्रे जी के भारतप्रेम का अनन्य उदाहरण है। रायपुर, जबलपुर, नागपुर, पेंड्रा में रहते हुए उन्होंने न जाने कितने लोगों का निर्माण किया और उनके जीवन को नई दिशा दी। 26 वर्षों की उनकी पत्रकारिता और साहित्य सेवा ने मानक रचे। पंडित रविशंकर शुक्ल, सेठ गोविंददास, गांधीवादी चिंतक सुंदरलाल शर्मा, द्वारिका प्रसाद मिश्र, लक्ष्मीधर वाजपेयी,माखनलाल चतुर्वेदी, लल्ली प्रसाद पाण्डेय,मावली प्रसाद श्रीवास्तव सहित अनेक हिंदी सेवियों को उन्होंने प्रेरित और प्रोत्साहित किया। उन्होने सप्रे जयंती की आयोजक टीम के मुख्य सदस्य हरवेंद्र सिंह ठाकुर जैजै सरकार फ्लेक्स पथरिया, धरातल जनकल्याण विकास परिषद के दिलीप जी पटैल की प्रसंसा करते हुए कहा आज मुझे गर्व है कि मेरे महाविद्यालय से जाने के बाद सप्रे जी याद करने वाले युवाओं की टीम एक नया मुकाम हासिल कर रही है।
इन मेधावी विद्यार्थियों का हुआ सम्मान
लेखक, पत्रकार, साहित्यकार माधवराव सप्रे की 152 वीं जयंती पर माधवराव सप्रे साहित्यिक समिति, धरातल जनकल्याण विकास समिति व पथरिया नगर परिषद के माध्यम से नगर के उत्कृष्ठ खिलाड़ी का खिताब नेश्नल कुश्ती में दूसरे स्थान पर रही पूजा परानिया, संगीत पुरस्कार जितेश वंदिता दुबे, पत्रकारिता पुरस्कार संजय जैन, रोहित जैन, नेट परीक्षा में उत्तीर्ण अजीत सिंह, नृत्य कलां में , श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में रमाशंकर पौराणिक, सरस्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य़ राजीव तिवारी को सम्मानित किया गया। वहीं पथरिया ब्लॉक में मौजूद 10वीं व 12 वीं के कुल 22 स्कूलों के 45 बच्चों को स्कूल स्तर पर प्रथम व द्वितीय स्थान पर रहे छात्रों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मंच संचालन हरवेंद्र सिंह ठाकुर ने किया व आभार दिलीप पटैल ने माना। इस अवसर पर जीवन यादव, लोकेंद्र सिंह ठाकु, लाखन प्रजापति, विनोद विश्वकर्मा, अजय साहू, आलोक पौराणिक, अनिल प्रजापति, सुदेश चौरसिया, गंगाराम पटैल, सुरेश रैकवार, दीपक ताम्रकार, गौरव मिश्रा, विक्रम सिंह सहित नगर के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
संवाददाता-जितेन्द्र दीक्षित
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