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बुंदेलखंड की अजब-गजब घटनाएं या कहें इन्हें दुर्लभ दृश्य, छुई खदान पर छुई खाने पहुंते बंदर

 

बुंदेलखंड की अजब-गजब घटनाएं या कहें इन्हें दुर्लभ दृश्य, छुई खदान पर छुई खाने पहुंते बंदर



एक मशहूर कहावत है बुंदेलखंड में कि 'बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद' लेकिन इसी बुंदेलखंड में पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मड़ियादौ के बफर जोन जंगल में बंदर मिट्टी का स्वाद बाखूबी से जानते हैं।हटा को बिजावर व छतरपुर से जोड़ने वाले मार्ग चोरैया की घाटी में जहां पर सफेद मिट्टी पा‌ई जाती है, पहले के समय में इस मिट्टी की मांग कच्चे घरों में पुताई और घर आंगन में लीपन के लिए होती थी जिसे छुई कहा जाता है हालांकि वर्तमान में पक्के मकान होने के कारण इसकी मांग कम हो गई है। 

लोगों में इसकी मांग जरूर कम हुई हो लेकिन यहां के बंदरों के लिए यह मिट्टी (छुई) किसी व्यंजन से कम नहीं है शायद इसी वजह से यहां दिन भर सैकड़ों की तादाद में बंदर उमड़ते रहते हैं, अपने नुकीले दांतों और नाखूनों से ख़रोंचकर यहां की मिट्टी खाते हैं।

'प्रकृति की देन प्रकृति को ही पसंद है, लोग भले ही इसकी कीमत ना जाने।

मिट्टी का स्वाद लेते हैं बंदर, लोग भले ही कहें बंदर अदरक का स्वाद ना जाने।।'

प्रकृति की देन यह सफेद मिट्टी जिसकी कीमत बंदरों को ही मालूम है लोगों के लिए यह महज़ एक मिट्टी है।

संवाददाता :- राजधर अठया 

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