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प्रेम और जीवन.........


प्रेम और जीवन


 प्रेम  ही तो  जीवन   है,  प्रेम  ही  संसार,

इस  जहाँ  में  बाँटिए, केवल आप प्यार,

बड़ी  मुश्किल  भरी  यह  ज़िंदगी  है जी,

चल  सको तो चलो  ज़िंदगी  की रफ़्तार,

प्रेम  बरसता  पक्षियों  के एक  गुंजन से,

भाती  है मन  को  सुबह की यह चहकार,

बेशुमार  प्रेम  सब को हर- पल  बाँटो तुम,

अद्भुत  रिश्ता  प्रेम  का जीवन  में  है यार,

मन के सब भावों ‌ का  एक  संप्रेषक है ये,

वाणी से ही जीत मिले, वाणी से मिले हार,

प्रेम में 'शिवा' रूठना मनाना भी ज़रूरी है,

खुला रखो सदा जीवन में  हृदय का द्वार।


  लेखक -

 अभिषेक श्रीवास्तव "शिवा"

 अनूपपुर मध्यप्रदेश

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