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सूरज की तपन बया करती अद्भुत रचना


   गर्मी का मौसम है आया


     गर्मी का मौसम है आया

     सबको इसने बहुत सताया,

    आसमान से आग है बरसे

     सूरज ने फैलाई माया।


     कूलर, पंखे, ए.सी. चलते

     दिन भी न अब जल्दी ढलते,

     पल भर में चक्कर आ जाते

     थोड़ी दूर जो पैदल चलते।


      जून का है जो चढ़े महीना

      टप टप टप टप बहे पसीना,

      खाने का कुछ दिल न करता

       मुश्किल अब तो हुआ है जीना।


     सूखा है जल नदियों में

     पंछी है प्यासा भटक रहा,

     कहीं छाँव न मिलती है उसको

      देखो खम्भे पर लटक रहा।


     कुल्फी वाला जब आता है

     हर बच्चा शोर मचाता है,

     खाते हैं सब बूढ़े बच्चे

     दिल को ठंडक पहुंचाता है।


     सूनी गलियां हो जाती हैं

     जब सूर्या शिखर पर होता है,

     रात को जब बली गुल हो

     तो कौन यहाँ पर सोता है?


    न जाने ये है कहाँ से आया

    हमने तो इसको न बुलाया,

    परेशान इससे सब हैं

    ये किसी के भी न मन को भाया।


     गर्मी का मौसम है आया

     सबको इसने बहुत सताया,

    आसमान से आग है बरसे

     सूरज ने फैलाई माया।


   लेखिका 

   -सफलता मुजावदिया 

    जिला- नीमच, मध्यप्रदेश 

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