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नारी को लांछित पाया है।


 नारी को लांछित पाया है


ये कैसा जमाना आया है..

नारी को लांछित पाया है।


ये नारी है कोई और नहीं..

क्यो मानव करता गौर नहीं ।।


है नारी कि उस ममता का..

आज तलक कोई छोर नहीं।।


सोचो तो ज़रा और गौर करो..

नारी कितनी बलिदानी है.।।


लाई वापस पति प्राणों को..

यम को वापस लौटाया है।।


ये कैसा जमाना आया है..

नारी को लांछित पाया है।


आरिफ़ हम उन विनती करते है

जो ठेकेदार समाज के,है  


और उनसे निवेदन करते है , 

जो आधिकारी इस राज्य के है।


अब बंद करो ये दहेज़ प्रथा..

क्यों जीवन नरक बनाया है ।।


ये कैसा जमाना आया है..

नारी को लांछित पाया है।


लेखक 

आरिफ खान 

बहादुरपुर

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