Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

Responsive Advertisement

नशे की दुष्प्रवृत्ति पर लगाम लगाना है जरूरी



 नशे की दुष्प्रवृत्ति पर लगाम लगाना है जरूरी


नशे की बेड़ियों में जकड़ा इंसान खुद का विनाश खुद ही कर लेता है, किंचित मात्र भी किसी दूसरे व्यक्ति की जरूरत नहीं होती। परन्तु दुःख की बात ये है कि अच्छे लोग भी इस दलदल में फंसते जा रहे हैं। 

बड़े लंबे समयकाल से नशे की प्रवृति लोगों में देखी जा रही है, पुराने समय में यह एक मनोरंजक पेय पदार्थ था धीरे-धीरे इसकी आदत लोगों में बढ़ती गई और इसे छोड़ पाना लोगों के लिए काफी मुश्किल हो गया और यह आदत लोगों के लिए एक विनाशकारी आफत का रूप लेती गई।


'मर जायेंगे पर नशा नहीं छोड़ेंगे'

'पीता हूं गम भुलाने को '

जैसे बोलबच्चन नशेड़ियों को ज्यादा बढ़ावा देते हैं, तम्बाकू-बीड़ी पर लिखी चेतावनी एक पोस्टर फ्लैग जैसी है मानों वह नशे का प्रतीक हो कि 'मैं नशा हूं और तुम नशेड़ी, खूब बनेगी दोनों की जोड़ी', जिसका परिणाम ये होता है कि लोग खुद ही अपनी बनी बनाई छवि को समाज में बिगाड़ लेता है, नशा शरीर को खोखला कर देता है और खोखले लोगों का कामयाबी के सपने देखना उतना ही हास्यास्पद बन जाता है जितना चांद-तारे तोड़ कर धरती पर लाना।  लोग नशे में इतने धुत्त हैं कि पारिवारिक समस्याओं पर उनका कोई ध्यान नहीं जाता।  पारिवारिक लड़ाईयां, सुख संपत्ति का विनाश, अपराध जैसी तमाम बड़ी मुश्किलों में नशा का योगदान हमेशा रहा है। नशे की दुष्प्रवृत्ति पर लगाम लगाना अति आवश्यक है किन्तु यह कोई एक व्यक्ति या पुलिस प्रशासन से संभव नहीं है, इसके लिए समाज का बच्चा-बच्चा जागरूक होना अनिवार्य है, और इस समस्या से सबको एक साथ मिलकर लड़ना होगा।


'आओ जागरूकता की अलख जगाएं। नशे की दुष्प्रवृत्ति पर लगाम लगाएं।'


लेखक:- 

राजधर अठया 

मड़ियादौ, दमोह, मध्यप्रदेश 



Post a Comment

0 Comments