मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ओरछा में रखी श्री रामराजा लोक की आधारशिला
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को निवाड़ी जिले के ओरछा में भव्य और अलौकिक 'श्री रामराजा लोक' की शिलान्यास किया. इस दौरान आयोजित सभा को संबोधित करते हुए चौहान ने कहा कि जग व्यापक श्री राम के दो निवास हैं खास, दिवस ओरछा रहत हैं, रैन अयोध्या वास. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज मध्यप्रदेश, बुंदेलखंड और ओरछा के सौभाग्य के सूर्य का उदय हो रहा है. क्योंकि ओरछा में श्री रामराजा लोक बनने की आधारशिला रखी गई है. सीएम ने दो करोड़ की लागत से अछरू माता का भव्य मंदिर बनाए जाने की भी घोषणा की. सीएम चौहान ने यहां जल जीवन मिशन की परियोजना का लोकार्पण भी किया.
अद्भुत हैं भगवान राम और अद्भुत है उनकी भक्ति
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि यह एक अद्भुत लोक बन रहा है, 12 एकड़ में यह लोक बनेगा, जिसका भव्य प्रवेश द्वारा होगा, बालकांड और उत्तरकांड प्रांगण होगा एवं अन्य कई सुविधाएं होंगी. सीएम चौहान ने कहा कि हमारा प्रयास है कि शीघ्र राम राजा लोक बनकर तैयार हो जाये. बता दें कि योजना के तहत यहां 143 करोड़ रुपये से अधिक के कार्य होंगे. यहां भव्य प्रवेश द्वार, प्रसादालय, कतार परिसर बनेगा. वहीं मंदिर परिसर के विकास के साथ दुकानों की पुर्नस्थापना और सौंदर्यीकरण किया जाएगा. श्रीराम के बालस्वरूप थीम पर गलियारे और प्रांगण का विकास किया जाएगा. जन सुविधाओं के विकास के साथ ही अत्याधुनिक प्रकाश व्यवस्था की जाएगी.
ओरछा में भगवान रामराजा मंदिर के निर्माण की यह है कहानी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम में ओरछा में रामराजा सरकार के मंदिर निर्माण की कहानी सुनाई. सीएम चौहान ने बताया कि तात्कालीन समय में ओरछा के राजा मधुकर शाह भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे, जबकि उनकी पत्नी गणोशकुंवरी भगवान श्रीराम की उपासना करती थीं. वे हमेशा रानी को भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने को कहा करते थे, लेकिन रानी तो श्रीराम का ही नाम जपते रहती थीं. एक बार उन्होंने यह मन बना लिया कि वे ओरछा में भगवान श्रीराम की स्थापना करेंगी.
इसके लिए उन्होंने अयोध्या जाकर उपासना करने का मन बनाया. एक दिन वे राजा को बिना बताए, अयोध्या के लिए निकल गईं. अयोध्या के लिए प्रस्थान करने से पहले उन्होंने अपने नौकरों को यह आदेश दिया कि वे चतुभरुज मंदिर का निर्माण करवाएं, जहां भगवान श्रीराम की स्थापना की जाएगी. अयोध्या पहुंचने के बाद रानी ने राम मंदिर में भगवान श्रीराम के लिए कई दिनों तक उपवास रखा. उनकी इस भक्ति को देखकर भगवान श्रीराम उनके सामने प्रकट हुए. इसके बाद रानी ने उन्हें अपने साथ ओरछा जाने का आग्रह किया.
भगवान श्रीराम तैयार हो गए, लेकिन इसके लिए उन्होंने रानी के सामने तीन शर्ते रखीं.
1. भगवान श्रीराम ने कहा कि वे ओरछा बाल रूप में जाएंगे.
2. ओरछा पहुंचने के बाद वहां न कोई राजा होगा और न कोई रानी.
3. उनकी स्थापना पुरुष नक्षत्र में होगी.
सीएम शिवराज ने आगे बताया कि रानी ने भगवान श्रीराम की सभी शर्ते मान लीं. रानी जब श्रीराम के बालरूप के साथ ओरछा पहुंचीं, तब राजा ने धूमधाम से उनका स्वागत करने का मन बनाया. लेकिन रानी ने सभी को अस्वीकार कर दिया. इसके बाद वे श्रीराम के बालरूप के साथ महल में गईं. अगले दिन जब उन्होंने भगवान राम को चतुभरुज मंदिर में स्थापित करने का शुभ मुहूर्त बनाया, तब भगवान राम ने कहा कि वे मां का दामन छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे. इसके बाद वे महल से बाहर नहीं गए और उनकी स्थापना वहीं हो गई. इसके बाद से रानी का वही महल मंदिर के रूप में विख्यात हो गया, जो आज राम राजा मंदिर के नाम से विश्व विख्यात है
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