सूचना का अधिकार अधिनियम क्यों है देश हित में जरूरी।
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 आम नागरिक का हथियार माना जाता हैं यह एक ऐसा कानून है जो कई बड़े से बड़े भ्रष्टाचार को उजागर करने का काम करता है आज देश में कई योजनाएं गरीब और जरूरतमंद के लिए संचालित है लेकिन वो योजनाएं या तो किसी सरकारी दफ्तर में दम तोड़ रही है या फिर किसी कमीशन खाने वाले अधिकारी के टेबल पर पड़ी होगी, ऐसे में भ्रष्टाचार को उजागर करने में आरटीआई एक सशक्त माध्यम बन सकता है ,मामूली कुछ धाराओं का ज्ञान होने से एक आरटीआई लगा कर जानकारी को देश हित में प्राप्त किया जा सकता है ,
12 अक्टूबर 2005 के दिन शाहिद रज़ा बर्नी नाम के एक शख़्स ने जब भारत में पहली दफ़ा सूचना का अधिकार (आरटीआई) क़ानून के तहत सरकार से सूचना मांगी, तो कहा गया कि भारत नागरिक अधिकारों के हिसाब से एक नए युग में प्रवेश कर गया है।
अब से 19 साल पहले जब सूचना का अधिकार (आरटीआई) क़ानून लागू हुआ था तो इसे भ्रष्टाचार से लड़ने के एक सशक्त हथियार के रूप में देखा गया।
सीएचआरआई के एक अध्ययन में पाया गया है कि शुरुआती 10 साल में पौने दो करोड़ से ज़्यादा लोग भारत में आरटीआई दाखिल कर चुके हैं.
आबादी अनुपात के मद्देनज़र अमेरिका की तुलना में भारत में इस क़ानून का इस्तेमाल ज़्यादा किया जाता है.
आम नागरिक के साथ पत्रकारों के लिए आरटीआई आया ही एक ऐसे हथियार के रूप में था, जब
सरकारी तंत्र के बीच दिन भर गुज़ारने के बाद भी कई बार पत्रकारों को सही सूचना नहीं मिल पाती. तो आरटीआई एक अच्छा माध्यम बन सकता है जब सूचना को समाज और देश हित में सार्वजनिक की जाए।
दुनिया के करीब 110 देशों में आरटीआई लागू है. इन देशों में आरटीआई के इस्तेमाल से रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार संगठित ढंग से काम करते हैं. यूरोप में इन्हें 'वॉब पत्रकारों' कहा जाता है. 'वॉबिंग' एक डच शब्द है, जो पत्रकारों के लिए इस्तेमाल होता है."
संवाददाता : आशीष सोनी
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