Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

Responsive Advertisement

केंद्र और प्रदेश में भाजपाई सरकार होने के बाद भी नहीं बदली जमीनी तस्वीर...

 केंद्र और प्रदेश में भाजपाई सरकार होने के बाद भी नहीं बदली जमीनी तस्वीर...



सतना। आपने अक्सर भाजपा सरकार के मुख्यमंत्रियों सहित पूरी कैबिनेट और स्थानीय सांसदों, विधायकों, महापौर, अध्यक्षों को विकास की गाथा का बखान बढ़े चढ़े शब्दों में करते देखा और सुना होगा। लेकिन जमीनी हकीकत दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त साबित होती है। पिछले पच्चीस सालों से मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का एकतरफा दबदबा कायम है जबकि केंद्र में लगभग ग्यारह साल से भाजपा सरकार सत्ता सीन है , उसके बाद भी विंध्य प्रदेश की शान कहे जाने वाले रीवा और सतना शहर में रहने वाली आम जनता तक शत प्रतिशत मुलभूत सुविधाओं का विस्तार आज तक नहीं हो पाया है। दोनों शहरी क्षेत्रों में बहुत से ऐसे रिहायशी इलाके हैं जहां रहने वाले लोग बेहतर आवागमन सड़क, पानी निकासी के लिए व्यवस्थित नाली, पीने के लिए मीठा पानी हासिल नहीं कर पाए हैं। मजेदार बात यह है कि समस्त जन सुविधाओं के एवज में जनता नगर निगम को टैक्स का भुगतान जरुर करती है पर उसका लाभ पाने से वंचित है। रीवा और सतना नगर निगम की सीमा का विस्तार जिन 45-45 वार्डों तक है, वहां शत प्रतिशत जमीनी विकास न तो निगम प्रशासन कर पाया है और न ही सांसद, विधायक और महापौर करवा पाए हैं। अब सवाल यह उठता है कि जब समस्त शहरी जनता दोनों जिलों में मुलभूत सुविधाएं प्राप्त नहीं कर पाई तो फिर किस मुंह से बड़बोले भाजपाई नेता विकास की खोखली डींगें हांकते हैं? दोनों शहरों में ड्रैनेज सिस्टम महज दिखावा है इसलिए घंटे दो घंटे की बरसात लोगों के लिए आफत बन जाती है। पिछले दो दिनों से हो रही बारिश भाजपाई विकास की गाथा को रीवा और सतना शहर में बखूबी बयां कर रही है। कई ऐसे इलाके हैं जहां रहने वाले लोगों के लिए निरंतर बारिश अक्सर मुसीबत साबित होती है। बस शहरों के मुख्य सड़क को चकाचक कर देने, फ्लाई ओवर बना देने से अंदरुनी हिस्से की गलियों में रहने वाले लोगों को जन सुविधा नहीं मिल जाती है? अफसोस इस सच्चाई को जानने के बाद भी सांसद, विधायक और महापौर को कुछ नजर नहीं आता है। 

विकास पुरुष का क्षेत्र भी समुचित विकास से दूर, सतना की हालत बद से बद्तर..

वर्ष 2003 से विंध्य की राजनीति में धमाकेदार आगाज करने वाले रीवा विधायक और मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला को भले ही उनसे प्रभावित लोगों ने विकास पुरुष की संज्ञा दे दी हो पर सवाल यही खड़ा होता है कि उनका स्वयं का क्षेत्र जो नगर निगम सीमा में आता है, वह समुचित विकास की मंजिल तय नहीं कर पाया है। रीवा नगर निगम के 45 वार्ड में दर्जन भर से अधिक ऐसी रिहायशी कालोनियां हैं जहां रहने वाले लोगों के बीच मुलभूत सुविधाएं नहीं पहुंची हैं। बरसाती पानी की निकासी के लिए विकास पुरुष अब तक कुछ खास नहीं कर पाए हैं, इसलिए निरंतर बारिश लोगों की सांसें तेज कर देती है। बीते सालों में कारगर व्यवस्था न होने के कारण बड़ी संख्या में लोगों को बाढ़ की तबाही का सामना करना पड़ा है। संपूर्ण वार्ड की जनता तक मीठे पानी की आपूर्ति आज भी सपना बनी हुई है। निस्संदेह रीवा शहर के बाहरी हिस्से से गुजरने वाले लोगों को बाईपास, फ्लाई ओवर, आडिटोरियम, कलेक्ट्रेट, बस स्टैंड का विकास अपनी तरफ आकर्षित करता है, लेकिन जब यही लोग अंदरुनी हिस्से में घुसते हैं तो हकीकत देखकर दंग रह जाते हैं। बाजार के तंग रास्तों पर पोलियो ग्रस्त यातायात रिमही जनता का नसीब बन गई है। वहीं दूसरी ओर सतना शहर की हालत तो वेंटिलेटर पर बनी हुई है। भाजपाई शासनकाल में हालात बद से बद्तर हो गये हैं। यहां पर अजेय सांसद गणेश सिंह और महापौर की कुर्सी पर निरंतर भाजपाई चेहरा रहने के बाद भी सतना वासियों को विकास नसीब नहीं हुआ है। लगातार नगर निगम में भाजपा की शहर सरकार होने का आम जनता को धरातल पर कोई लाभ नहीं हुआ है। सतना नगर निगम क्षेत्र में पिछले छः साल से सीवरेज के नाम पर लोगों को खून के आंसू रुलाए जा रहे हैं। जानलेवा गड्ढा युक्त सड़कों का जाल शहर भर में फैला हुआ है। सतना शहर में किसी (अंदर - बाहर) तरफ डेवलपमेंट दूर दूर तक नजर नहीं आता है। विकास के मामले में सतना सांसद गणेश सिंह फेल साबित हुए हैं। महापौर इस मामले में कुछ खास कर पाएंगे, ऐसी उम्मीद बिल्कुल नजर नहीं आती है। भगवान जाने दोनों शहरों में रहने वाले लोगों तक समुचित विकास पहुंचने में और कितने साल लग जाएंगे..।

संवाददाता- आशीष सोनी

Post a Comment

0 Comments