सरकारी टीचरों की मनमानी से नौनिहालों का भविष्य अंधकार में आखिर जिम्मेदार कौन
बच्चों को नहीं मिल रहा मेन्यू अनुसार मध्यान भोजन
टीकमगढ़ जहां एक और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव शिक्षा के प्रति गंभीर बने हुए हैं और उनकी मंशा है कि देश एवं प्रदेश का हर बच्चा उच्च शिक्षा ग्रहण करें जिस देश तरक्की करें मगर सरकारी टीचर उनके सपनों पर पलीता लगाते नजर आ रहे हैं हम बात कर रहे हैं दिगौड़ा संकुल के शासकीय प्राथमिक शाला खरोई की जहा पढ़ाई भगवान भरोसे चल रही है टीचरों की मनमानी से वहां पढ़ रहे बच्चों का भविष्य अंधकार मय हो गया है ऐसा नहीं है कि बच्चे यहां पर पढ़ना नहीं चाहते हैं बच्चे तो पढ़ना चाहते हैं मगर यहां पर टीचर बच्चों को पढ़ाना ही नहीं चाहते हैं टीचर सिर्फ कागजों पर ही खाना पूर्ति करते रहते हैं मगर धरातल पर शून्य नजर आता है पढ़ाई का आलम यह है कि एक ही क्लास में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे एक टीचर एक से पांच तक के बच्चों को एक साथ पढ़ा सकता है कई टीचर तो 20 सालों से अपने ही गांव के स्कूल में पदस्थ हैं जो हाजिरी रजिस्टर में हाजिरी लगाकर अपने घर वापस चले जाते हैं और खेती किसानी का काम करते रहते हैं कोई भैंस चराता रहता है जब कोई टीम स्कूल में जाती है तो साथी टीचर कहते हैं की दवा खाने गए हैं वह भी क्या करें उनकी भी मजबूरी है उनको भी विद्यालय जाना पड़ता है वह गांव के ही टीचर से वह कैसे बिगाड़ सकते हैं यदि बात मध्यान भोजन की की जाए तो विद्यालय प्रबंधन की मिली भगत से मध्यान भोजन के नाम पर बच्चों के साथ छलावा किया जाता है चाहे खीर में कीड़े निकले या सब्जी पानी जैसी हो या पूरी दो दिन पहले की हो बच्चों को खाना ही पड़ेगा बच्चे यदि टीचरों से शिकायत करते हैं तो वह कहते हैं कुत्तों को डाल दो या फेक दो हद तो तब हो जाती है जब टीचरों को मध्यान भोजन के मीनू की जानकारी भी नहीं रहती।
संवाददाता : मुहम्मद ख्वाजा
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