इंदौर के बिजनेसमैन की वजह से 8 लोगों को मिली नई जिंदगी, हाथ, किडनी-लिवर, आंखें तक की दान
इंदौर में एक बिजनेसमैन के परिवार ने कुछ ऐसा किया है, जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है. क्योंकि इस फैमली ने जो फैसला लिया है वह सुनने में जितना आसान लगता है उतना होता नहीं है. क्योंकि किसी अपने के अंग दूसरे को दान करना बड़ा फैसला होता है. लेकिन इंदौर के टाइल्स कारोबारी सुरेंद्र पोरवाल को जब डॉक्टरों ने ब्रेनडेड घोषित किया तो उनके परिवार ने उनकी बॉडी को डोनेट करने का फैसला किया, ऐसे में उनकी बॉडी से आठ लोगों को नई जिंदगी मिली है. सबसे अहम उनके दोनों हाथों को डोनेट करना रहा, क्योंकि डॉक्टरों ने उनके हाथों को 12 घंटे तक जीवित रखा और उसे दूसरे व्यक्ति के शरीर में लगाया, ऐसा इंदौर में पहली बार हुआ है.
दरअसल, टाइल्स कारोबारी सुरेंद्र पोरवाल के परिवार को जब डॉक्टरों ने बताया कि उनका ब्रेनडेड हो चुका है तो उन्होंने अंगदान करने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि उनकी रिश्तेदार रही विनीता खंजाची के परिजनों ने भी उनके ब्रेनडेथ होने के बाद उनके अंगदान किए थे, इसलिए उनके इस फैसले से प्रेरित होकर पोरवाल परिवार ने भी ऐसा ही फैसला किया. जिसके बाद सुरेंद्र पोरवाल की दोनों किडनी, लंग्स, लिवर, आंखें और स्किन को एक साथ डोनेट किया गया. डॉक्टरों ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति ब्रेनडेड हो जाता है और अगर उनके परिवार के लोग चाहे तो सारे पैरामीटर्स के साथ उनके अंगों का दान किया जा सकता है. क्योंकि अगर समय का ध्यान रखा जाए तो डोनेशन और ट्रांसप्लांट भी तेजी से हो जाता है.
परिजनों की सहमति के बाद सुरेंद्र पोरवाल के अंगों के डोनेशन की प्रक्रिया शुरू की गई. वह जिस अस्पताल में भर्ती थे, हां से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर उनके अंगों को दूसरे अस्पताल तक पहुंचाया गया. वहीं उनकी बॉडी से अंग निकालने के लिए करीब 3 घंटे तक ऑपरेशन चला था. डॉक्टरों के मुताबिक सबसे ज्यादा समय हाथ निकालने में लगा था. जिसके बाद तुरंत ही उन्हें पूरी सुरक्षा के साथ दूसरी अस्पताल में पहुंचाया गया, जहां आठ लोगों में उनके अंगों का ट्रांसप्लांट किया गया. डॉक्टरों ने बताया कि किसी भी ब्रेनडेड व्यक्ति के हाथ को निकालने के बाद उसे 6 से 12 घंटे तक ही जीवित अवस्था में रखा जा सकता है.
इंदौर में पोरवाल परिवार की तरफ से लिए गए फैसले की शहर में जमकर तारीफ हो रही है. क्योंकि इस फैसले से शहर के और भी लोगों में जागरुकता आने का उम्मीद की जा रही है. क्योंकि अंगदान करने से किसी दूसरे इंसान की जिंदगी बच सकती है. बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब इंदौर के लोगों ने इस तरह की मिसाल जारी की हो इससे पहले भी शहर में कई बार इस तरह के सराहनीय फैसले आ चुके हैं.
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