मध्य प्रदेश के एक और रहस्यमय और प्राचीन स्थल भीमबेटका की गुफाओं पर
भीमबेटका, भोपाल से लगभग 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और यह यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। गुफाओं की दीवारों पर बने रंग-बिरंगे चित्र जैसे समय के साथ अपनी कहानी खुद कहते हैं। यहां की चित्रकारी हमें सीधे प्रागैतिहासिक युग में ले जाती है, जहां हमारे पूर्वजों की कला, जीवन शैली, और सांस्कृतिक विविधता की झलक मिलती है। इन गुफाओं की दीवारों पर उकेरे गए भित्तिचित्र सचमुच में अद्वितीय हैं। ये चित्र लगभग 30,000 साल पुराने हैं और हमारी सभ्यता की शुरुआती कहानी को बयां करते हैं। रंगों का जादू और चित्रों की विविधता हमें उस समय के जंगली शिकार, उनके दैनिक जीवन, और प्रकृति से जुड़ी कहानी बताते हैं। यह कला उन लोगों की कल्पनाशक्ति और उनके जीवन के साथ गहरे जुड़ी हुई थी, जो इन प्राकृतिक गुफाओं में रहते थे। भीमबेटका की गुफाओं की दीवारें हमारी सभ्यता की पहली किताब की तरह हैं, जहां हम इतिहास के अनकहे किस्सों को पढ़ सकते हैं। यहां की चित्रकारी में युद्ध, प्रेम, और धार्मिकता जैसी विविधता देखना दिलचस्प होता है। इनमें कुछ चित्रों में तो शिकार करते हुए लोग और बाघों की लड़ाई जैसे दृश्य भी उकेरे गए हैं। इन चित्रों में एक जादू होता है जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है भीमबेटका की गुफाओं का आकर्षण सिर्फ चित्रों तक ही सीमित नहीं है। यहां की प्राचीन सभ्यता के निशान हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि हमारी कला और संस्कृति कितनी समृद्ध रही है। गुफाओं में बसे आदिवासी लोग चित्रकारी के अलावा ध्यान और प्रार्थना जैसी गतिविधियों में भी शामिल होते थे। इस स्थान की शांति और हर दीवार की कहानी हमें हमारे अतीत की साक्षात अनुभूति कराती है।
वीडियो लिंक : https://www.youtube.com/watch?v=hQEh4Fmqo9Y
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