एक देशद्रोही ममता कुलकर्णी से क्यों छीना गया महामंडलेश्वर का पद?
किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया. ऋषि अजय दास ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर और ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया. किन्नर अखाड़ा के संस्थापक ऋषि अजय दास ने बातचीत में इस फैसले के पीछे की वजह भी बताई. ऋषि अजय दास ने कहा, मैंने 2015 में किन्नर अखाड़े की स्थापना की थी और सतत कार्य कर रहा हूं. इस अखाड़े का निर्माण करने का और गठन करने का उद्देश्य था कि धार्मिक कार्य किए जाएं, धार्मिक कर्मकांड किए जाएं, कथाएं की जाएं, यज्ञ किए जाएं. लेकिन इन्होंने (लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी) कुछ भी नहीं किया. तब भी हमने इन्हें बर्दाश्त किया. लेकिन जब इन्होंने एक देशद्रोही और देशद्रोह में लिप्त स्त्री को आते ही महामंडलेश्वर की पदवी दे दी. यह बहुत ही गलत कार्य किया. उन्होंने कहा, जब राष्ट्रहित की बात आएगी, देशहित की बात आएगी, समाजहित की बात आएगी तो मेरे जैसे व्यक्ति को खड़ा होना पड़ेगा और इसलिए यह सब घटनाक्रम देखते हुए और इनके भटकाव को देखते हुए मैं आज ममता कुलकर्णी और लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को उनके पदों से मुक्त करता हूं.
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के समर्थन में आया अखाड़ा परिषद
अब इस मामले में नया ट्विस्ट आ गया है. दरअसल, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के समर्थन में अखाड़ा परिषद उतर आया है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने तो यह तक कह दिया कि वे ऋषि अजय दास को जानते ही नहीं. रविंद्र पुरी ने कहा, सभी 13 के 13 अखाड़ों ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को समर्थन दिया था. वे लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ खड़े हैं. ममता कुलकर्णी ने कुछ दिन पहले ही महाकुंभ में संन्यास का ऐलान किया था. ममता ने महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े में शामिल होकर संगम पर पिंडदान की रस्म निभाई थी. महाकुंभ में संन्यास लेने के बाद ममता कुलकर्णी को एक नया आध्यात्मिक नाम 'श्री यमई ममता नंद गिरि' नाम दिया गया था
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