जंजीरों में कैद ज़िंदगी - 6 महीने से जंजीरों की कैद में जकड़ा संतोष राय का जीवन
पलेरा।। आजादी हम सभी को बड़ी प्यारी लगती है। सोने के पिंजड़े में बंद पक्षी भी आजादी के लिए फड़फड़ाता है। इसके बाबजूद अगर एक मां अपनी संतान को जंजीरों में जकड़ कर रखी हुई है, तो क्या हम इसे मां - बेटा की नियति मान लें? कदापि ऐसा नहीं है। हालात कुछ ऐसे हैं कि जो माता-पिता बुढ़ापे का सहारा अपने पुत्र को मानते हैं, वहीं वृद्ध मां जंजीरों में जकड़ कर अपने बेटे की परवरिश कर रही है। यह पूरा मामला पलेरा जनपद पंचायत क्षेत्र अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सगरवारा का है। मानसिक रूप से बीमार संतोष राय पिछले 6 महीने से अमानवीय जीवन व्यतीत कर रहा है। उसकी किस्मत जंजीरों में जकड़ी हुई है। मानसिक रूप से विक्षिप्त संतोष को जंजीरों में जकड़ने वाले कोई और नहीं उसके अपने परिजन ही हैं। मीडिया की टीम जब इस गांव में पहुंची तो संतोष राय के परिजनों ने बताया कि बीते कुछ माह से संतोष गांव में झगड़ा करने लगा था। इसके साथ ही छोटे बच्चों का गला पकड़ लेना, विद्युत डीपी के तार पकड़ना एवं कुएं में गिरने जैसी कई हरकतें सबके सामने करने लगा था। जिसके चलते संतोष के परिजनों ने पिछले 6 माह से उसे जंजीरों में कैद करके रखा है। मानसिक रूप से विक्षिप्त संतोष राय के दो बच्चे हैं, जो अपने पिता को पिछले 6 माह से जंजीरों मे कैद देखेते चले जा रहे हैं। गांव के ग्रामीणों की माने तो यहां के सरपंच सचिव द्वारा भी अभी तक इस पूरे मामले में किसी भी वरिष्ठ अधिकारी को अवगत नहीं कराया गया है।
जिला प्रशासन से मदद की दरकार-
अब सवाल उठता है कि आखिर संतोष राय को नव जीवन कैसे मिलेगा। परिवार वाले गरीब और अशिक्षित है। उसकी पत्नी और मां के सहारे इलाज संभव नहीं है, तो फिर ऐसी स्थिति में जिले के तथाकथित समाजसेवी कहां हैं। क्या ऐसे लोगों की मदद करना समाज सेवा की श्रेणी में नहीं आता? तरस आता है ऐसे समाज सेवियों पर जब मरीजों के बीच एक केला या सेव का वितरण करते दर्जनों समाज सेवी कैमरे की फ्रेम में आ जाते है। एक पौधा लगाने के लिए कई लोग सामूहिक रूप से तस्वीर खिंचवाते हैं, और सोशल मीडिया पर अपलोड कर वाहवाही लूटते हैं, तो फिर आखिर संतोष राय जैसे जरूरतमंदों की सेवा के लिए कोई सामने क्यों नहीं आता। संतोष राय को जरूरत है एक ऐसे मसीहा की जो उसकी किस्मत को जंजीरों से आजाद करा सके, उसे एक नया जीवन देने में मदद कर सके। क्योंकि मानसिक बीमारी लाइलाज नहीं है। स्वास्थ्य विभाग को भी पहल करनी चाहिए। बीते रोज छतरपुर जिले के समाजसेवी संजय शर्मा ने यहां पहुंचकर संतोष राय की परिजनों से मुलाकात करते हुए मदद का आश्वासन दिया है।
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