कान्हीवाड़ा वन परिक्षेत्र कार्यालय बंद कर अन्यत्र स्थानांतरित किए जाने के विरोध में ग्रामवासियों ने सौंपा ज्ञापन
काँहीवाड़ा ग्रामवासियों ने क्षेत्र के वन परिक्षेत्र कार्यालय को बंद कर अन्यत्र स्थानांतरित किए जाने की योजना के विरोध में कड़ा रुख अपनाया है। इस संबंध में ग्रामीणों ने काँहीवाड़ा के वन परिक्षेत्र अधिकारी हरीश चंद इनवाती को मुख्य वन संरक्षक के नाम एक ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में ग्रामीणों ने वन परिक्षेत्र कार्यालय की महत्ता को रेखांकित करते हुए बताया कि यह कार्यालय वर्षों से वन प्रबंधन, संरक्षण, वृक्षारोपण, मानव-वन्यजीव संघर्ष समाधान, और ग्रामीणों को समय पर सेवाएं उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभा रहा है। ऐसे में इस कार्यालय को हटाना क्षेत्रवासियों के लिए अनेक समस्याएं खड़ी कर सकता है। ग्रामवासियों ने अपनी आपत्तियों में प्रमुख रूप से निम्न बिंदु उठाए:
जनसुविधा में कमी:
ग्रामीणों को अब अपने कार्यों के लिए दूरस्थ वन कार्यालयों का रुख करना पड़ेगा, जिससे समय, श्रम और धन की बर्बादी होगी।
वन सुरक्षा पर खतरा:
कार्यालय के अभाव में गश्ती व निगरानी व्यवस्था कमजोर हो सकती है, जिससे अवैध कटाई व लकड़ी तस्करी जैसी गतिविधियां बढ़ सकती हैं।
स्थानीय रोजगार पर असर:
इस क्षेत्र में निवासरत बंशकार समाज का जीवन बाँस आधारित शिल्प पर आधारित है। कार्यालय बंद होने पर उन्हें कच्चे माल की आपूर्ति और विपणन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
ईको-पर्यटन प्रभावित:
क्षेत्र का लोकप्रिय पर्यटक स्थल अमोदागढ़, जो मोंगली नाम से भी जाना जाता है, इसके रख-रखाव और संरक्षण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
आपातकालीन सेवाएं बाधित:
मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसी आपात स्थितियों में तत्काल सहायता में देरी होगी, जिससे जान-माल की क्षति हो सकती है।
ज्ञापन देने वालों में काँहीवाड़ा के उपसरपंच माजिद शहज़ादे, रमेश राय, सौरभ “गोलू” यादव समेत बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण शामिल रहे। सभी की एक ही मांग है कि काँहीवाड़ा वन परिक्षेत्र कार्यालय को यथास्थान बनाए रखा जाए, जिससे क्षेत्र की सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक संरचना को सुरक्षित रखा जा सके।
सामूहिक एकता का प्रदर्शन
इस ज्ञापन के माध्यम से काँहीवाड़ा के ग्रामवासियों ने प्रशासन को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वन कार्यालय न केवल एक शासकीय संरचना है, बल्कि स्थानीय जीवन प्रणाली और पर्यावरणीय संतुलन का आधार भी है। ऐसे में इस कार्यालय का स्थानांतरण स्थानीय हितों के विरुद्ध होगा।
संवाददाता : देवेन्द्र ठाकुर
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