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बीजेपी की प्रवक्ता रहीं आरती साठे बनीं बॉम्बे हाईकोर्ट की जज, महाराष्ट्र की राजनीति में विवाद छिड़ा, शरद गुट ने कर दी ये बड़ी मांग

 बीजेपी की प्रवक्ता रहीं आरती साठे बनीं बॉम्बे हाईकोर्ट की जज, महाराष्ट्र की राजनीति में विवाद छिड़ा, शरद गुट ने कर दी ये बड़ी मांग


सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम द्वारा वकील आरती साठे को बॉम्बे हाईकोर्ट की जज बनाने की सिफारिश पर महाराष्ट्र की राजनीति में विवाद खड़ा हो गया है। आरती साठे महाराष्ट्र बीजेपी की आधिकारिक प्रवक्ता के तौर पर कार्य कर चुकीं हैं। विपक्ष ने इसे लेकर नाराजगी जताई है और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए उन्हें हटाने की मांग की है। हालांकि मामले में BJP का कहा है कि उन्होंने जनवरी 2024 में सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। मामला अब न्यायपालिका की निष्पक्षता पर बहस का केंद्र बन गया है।

JP की प्रवक्ता रहीं आरती साठे की नियुक्ति पर शरद पवार गुट ने निशाना साधा है। शरद पवार गुट के नेता रोहित पवार ने कहा कि सत्तारूढ़ दल का पक्ष रखने वाले व्यक्ति की जज के तौर पर नियुक्ति लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा आघात है।


एनसीपी (SP) नेता रोहित पवार ने कहा, ”ऐसी नियुक्तियों के भारतीय न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता पर दूरगामी परिणाम होंगे। उन्होंने पूछा, “केवल जज बनने की योग्यता रखने और राजनीतिक रूप से संबद्ध व्यक्तियों को सीधे न्यायाधीश नियुक्त करने से क्या न्यायपालिका को राजनीतिक अखाड़े में बदलने जैसा नहीं है?”


  • सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई, 2025 को आयोजित अपनी बैठक में अजीत भगवंतराव कडेहनकर, आरती अरुण साठे और सुशील मनोहर घोडेश्वर को बॉम्बे हाई कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
  • विपक्षी नेताओं ने आरती अरुण साठे की जज के रूप में नियुक्ति पर आपत्ति जताई और हटाने की मांग की। 
  • शरद गुट के विधायक रोहित पवार ने महाराष्ट्र बीजेपी के लेटरहेड पर आरती साठे की महाराष्ट्र भाजपा प्रवक्ता के रूप में नियुक्ति का एक स्क्रीनशॉट पोस्ट किया, जिसका साठे ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर समर्थन किया।

क्या यह संविधान को नष्ट करने का प्रयास नहीं है?’

पवार ने आगे कहा, ”शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत संविधान में निहित है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी के पास अनियंत्रित शक्ति न हो, सत्ता का केंद्रीकरण न हो और नियंत्रण व संतुलन बना रहे। क्या किसी राजनीतिक प्रवक्ता की जज के रूप में नियुक्ति शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को कमज़ोर नहीं करती और संविधान को नष्ट करने का प्रयास नहीं है?”

संवाददाता :- आशीष सोनी 

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