54 लाख का पैकेज छोड़ 24 साल के इंजीनियर ने अपनाया वैराग्य पथ
जब इंसान भक्ति के मार्ग को अपनाता है, तो वह अपने व्यापार रुपया पैसा सभी को भगवान की भक्ति के आगे तुच्छ मान लेता है। ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश के अशोकनगर से सामने आया है जहां सुभाषगंज में मुनि सुधासागर के जिज्ञासा समाधान में देखने एक 24 साल के युवक ने अपनी 54 लाख रुपए के सालाना पैकेज की नौकरी छोड़ वैराग्य पथ अपनाते हुए मुनि सुधासागर से ब्रह्मचारी दीक्षा लेकर घर परिवार त्याग दिया।
54 लाख का सालाना पैकेज छोड़ अपनाया वैराग्य
24 साल के सॉटवेयर इंजीनियर पीयूष जैन ने संसार के मोह-माया, आकर्षण और भविष्य की सुनहरी राह छोड़कर वैराग्य का वरण किया। पीयूष पुणे की एक प्रतिष्ठित कंपनी में कार्यरत थे, जहां उन्हें 54 लाख रुपए सालाना पैकेज मिला था। माता-पिता ने बड़े अरमानों से उनका भविष्य संजोया था। मां सीमा जैन ने तो बेटे का विवाह भी सोच लिया था, दुल्हन तक तलाश ली थी। लेकिन जब पीयूष ने फोन कर कहा मां मैं अब आपके सामने आपका बेटा नहीं, बल्कि श्रमण जीवन के पथिक के रूप में खड़ा रहूंगा, तो मां की आंखों से बहते आंसू एक-एक श्रोता के दिल में उतर रहे थे। पिता संजीव जैन भी अपनी अश्रुधारा नहीं रोक पाए। इस दौरान महिलाओं का रुदन उस क्षण को और अधिक मार्मिक बना रहा था। जैसे उनके अपने घर का लाल विदा हो रहा हो। विदुषी युवतियां भाई को विदा करती बहनों की तरह सिसक रही थीं, और युवक भी अपने आंसुओं को छिपा नहीं सके। पूरा पंडाल संवेदना और श्रद्धा से भीग उठा। मुनि सुधासागर ने कहा कि मां के यह आंसू एक दिन खुशी के आंसू बन जाएंगे।
आसान नहीं मोक्ष मार्ग, यह तलवार की धार समान
जब पीयूष ने संघ में प्रवेश किया तो मुनि पुंगव सुधासागर महाराज ने कहा कि मैंने इस बालक को बहुत डराया था, कहा था कि मोक्ष का मार्ग आसान नहीं है, यह तलवार की धार पर चलने के समान है। लेकिन इसने पीछे हटना स्वीकार नहीं किया। जब संसार के बंधन ढीले पड़ते हैं, तब ही जीव इस कठिन पथ पर बढ़ता है। आज दशहरे जैसे शुभ दिन पर इसने वैराग्य को अपनाया, यह केवल इसका नहीं, पूरे समाज का गौरव है।

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