अस्पताल में सिर्फ दो दिन हो रही सोनोग्राफी, निजी सेंटरों में जांच के लिए देना पड़ रहे 900 रुपए
दमोह के जिला अस्पताल में प्रतिदिन ढाई सौ से ज्यादा मरीजों सोनोग्राफी की जरूरत पड़ रही है। इनमें प्रसूताएं भी शामिल हैं। हैरानी की बात यह है कि यहां उन लोगों की जांच हो रही है, जो अस्पताल में भर्ती हैं। वह भी सप्ताह में सिर्फ दो दिन ही सोनोग्राफी हो रही है। बाकियों को वेङ्क्षटग लिस्ट में रखा जा रहा है। जो रुक सकते हैं वह इंतजार करते हैं। अन्य निजी सेंटरों पर जाकर महंगी जांच कराने मजबूर होते हैं। इधर, प्रबंधन इस परेशानी को दूर कर पाने में खुद को बेबस महसूस कर रहा है। आंकड़ों पर नजर डाले तो प्रतिदिन सोनोग्राफी की जरूरत लगभग 250 मरीजों को पड़ती है। इनमें औसतन 60 प्रसूताएं भी शामिल हैं।
इन विभागों के मरीजों की भी हालत खराब
सर्जरी, मेडिसिन और शिशु रोग विभाग की ओपीडी में मरीजों की संख्या अच्छी खासी हैं। पेट की तकलीफ, लीवर-किडनी में परेशानी आदि की जांच के लिए डॉक्टर्स सोनोग्राफी की जांच लिख रहे हैं। जिला अस्पताल में जांच सुविधा न होने से मरीज बाहर से जांच कराने मजबूर हैं। औसतन 200 मरीजों को सोनोग्राफी की जांच कराने के लिए डॉक्टर लिख रहे हैं। जिससे मरीजों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है।
महंगी जांच, चल रहा कमीशन का खेल
जिला अस्पताल में सोनोलॉजिस्ट की कमी से शहर के निजी सेंटर संचालक चांदी काट रहे हैं। जांच शुल्क की बात करेंं तो हर जांच 900 रुपए में हो रही हैं। प्रायवेट अस्पताल और सरकारी अस्पताल के दम पर शहर के आधा दर्जन सोनोग्राफी सेंटर फलफूल रहे हैं। प्रायवेट डॉक्टर्स और सोनोग्राफी सेंटर के संचालकों के बीच कमीशनबाजी का खेल भी चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि एक सोनोग्राफी जांच में तीन सौ रुपए कमीशन डॉक्टर कमा रहे हैं।
योजना बने तो बन सकती है बात..
निजी सोनोग्राफी सेंटरों से अनुबंध कर नि:शुल्क हो सकती है जांच।
नए सिरे से सोनोलॉजिस्ट के साथ बैठक कर निकाला जा सकता है हल।

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