सागर के दो दिग्गज विधायक आमने सामने श्याम तिवारी से नहीं संभल रही जिला अध्यक्ष की कमान

सागर जिले की राजनीति में जहाँ सभी नेता अपने वर्चस्व को स्थापित करने में जुटे हैं वहीं एक नेता ऐसा भी है जो किसानों को उनका अधिकार या कहें मुआवजा दिलवाने के लिए सक्रिय है, जिसे मोहन सरकार तो दरकिनार कर सकती है किंतु रहली क्षेत्र की जनता नहीं, अब बात करें सागर जिले की वर्तमान राजनीति की तो मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का दामन थामने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों के समर्थक खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह एवं मंत्री गोविंद सिंह की कलह थमने का नाम नहीं ले रही है आपको बता दें कि सागर जिले में भाजपा की अंतर्कलह और फूट किसी से छिपी नहीं है ताजा मामला जैसीनगर से जय शिव नगर नाम को लेकर गर्मा गया है, वहीं जातिगत राजनीति के चलते सागर में खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह, पूर्व सांसद राजबहादुर सिंह, लखन सिंह बामोरा, कांग्रेस नेता इंदर सिंह और गोविंद सिंह राजपूत पर बेनामी जमीन का आरोप लगाने वाले राजकुमार सिंह धनोरा एक खेमे में नज़र आ रहे है साथ ही देवरी विधायक बृज बिहारी पटेरिया और सागर महापौर सुशीला तिवारी को भी इसी खेमे से जोड़कर देखा जा रहा है वहीं गोविंद सिंह राजपूत के साथ उनके भाई एवं जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह, सागर विधायक शैलेंद्र जैन, नरयावली विधायक प्रदीप लारिया, बंडा विधायक वीरेंद्र लंबरदार एवं बीना विधायक निर्मला सप्रे का नाम जोड़ा जा रहा है, दौनो ही पक्ष एक दूसरे पर सीधे कटाक्ष कर हमला बोलने में कसर नहीं छोड़ रहे है वहीं राजनीतिक बाजारों में चर्चाएं तो यहां तक है कि गोविंद सिंह राजपूत को बेंगलूरु के रिसोर्ट से कांग्रेस के खेमे से भाजपा में जुड़वाने वाले पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया है जिस कारण आज ऐसी परिस्थितियां बनी है वहीं भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष गौरव सिरोठिया के कार्यकाल में सागर की सात या यूं कहें कि आठों सीट तो भाजपा की झोली में पहुंच गई लेकिन भाजपा की अंतर्कलह और गुटबाजी रोकने में गौरव सिरोठिया पूर्ण रूप से नाकाम रहे वहीं कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने वाली विधायक निर्मला सप्रे वाली बीना सीट भी गौरव सिरोठिया की कूटनीति से भाजपा के दामन में पहुंची है हालांकि अभी तक निर्मला सप्रे ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है वहीं निर्मला सप्रे का फिलहाल दल निश्चित भी नहीं है कि वह कहां और किस दल की है लेकिन गुटबाजी में निर्मला सप्रे भी पीछे नहीं है यह किसी से छिपा नहीं है पहले भूपेन्द्र सिंह गुट में रहने वाली सप्रे अब गोविंद गुट में शामिल दिखाई दे रही है एवं भाजपा के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष श्याम तिवारी भी भाजपा की गुटबाजी और अंतर्कलह को रोकने में नाकाम ही नज़र आ रहे है और पार्टी लगातार टूटती दिखाई दे रही है भाजपा की गुटबाजी पर मुख्य मंत्री मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल भी लगाम लगाने में असफल है हालांकि दोनों दिग्गज नेताओं को पार्टी ने पूर्व में भी समझाने का प्रयास किया है लेकिन पार्टी के बड़े नेता भी इसमें असफल रहे है, अब देखना दिलचस्प होगा कि खुरई विधानसभा का दौरा न करने वाले कांग्रेस के नवीन जिला अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह मुहासा इस कलह का फायदा उठाकर सुरखी विधानसभा और खुरई विधानसभा में कुछ कमाल कर पाएंगे या उनका कार्यकाल सिर्फ कार्यक्रमों में फोटो शूट तक में सिमट कर रह जाएगा।