आर.के.टी.सी. कोल वाशरी और कोल ट्रांसपोर्ट से सिंगरौली का दम घुटा — तीन साल से जहर उगल रही हवा, प्रशासन मौन

ऊर्जाधानी कहलाने वाला सिंगरौली अब धीरे-धीरे प्रदूषण की राजधानी बनता जा रहा है। आर.के.टी.सी. कोल वाशरी और उससे जुड़ी कोल ट्रांसपोर्ट गतिविधियों ने पूरे क्षेत्र की आबोहवा को जहरीला बना दिया है। वाशरी से उड़ती कोयले की धूल और ट्रकों से बिखरते राख-कणों ने सिंगरौली, गोरवी गोंदवाली, , और आसपास के गांवों को सांस लेने लायक भी नहीं छोड़ा है।

तीन साल से जनता की पुकार बेअसर — प्रशासन सिर्फ कागज़ों में सक्रिय

क्षेत्रवासियों का आरोप है कि बीते तीन वर्षों से लगातार जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से शिकायत की जा रही है, मगर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है। न तो धूल दमन के लिए वाशरी प्रबंधन ने कोई ठोस इंतज़ाम किया, और न ही ट्रकों पर कोयला ढकने की अनिवार्यता का पालन हुआ।

सड़क पर सुबह निकलिए तो कोयले की काली परत जमी मिलती है। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, आंखों में जलन और खांसी दिन-रात बनी रहती है। प्रशासन बस नोटिस देकर अपनी जिम्मेदारी खत्म कर देता है,” — स्थानीय निवासी राजेश तिवारी ने रोष जताया

इलाके में बीमारियों की महामारी — बनारस और जबलपुर तक पहुंच रहे मरीज

प्रदूषण के कारण इलाके में अस्थमा, फेफड़ों का संक्रमण, एलर्जी, सांस की तकलीफ, त्वचा रोग जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। जिला अस्पताल में रोजाना ऐसे दर्जनों मरीज पहुंच रहे हैं। हालत इतनी खराब है कि कई परिवार अब इलाज के लिए वाराणसी और जबलपुर तक जा रहे हैं।

चिकित्सकों के अनुसार, यह प्रदूषण नियमित कोल वाशरी जांच और पर्यावरणीय मानकों की घोर अनदेखी का परिणाम है।

कोल वाशरी प्रबंधन और ट्रांसपोर्टर दोनों पर सवाल

स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों और सामाजिक संगठनों ने कोल वाशरी संचालक आर.के.टी.सी. कंपनी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि कंपनी ने न तो धूल रोकने के लिए वाटर स्प्रिंकलर लगाए हैं, न ही ग्रीन बेल्ट का विकास किया है। वहीं ट्रांसपोर्टर खुले ट्रकों में कोयले की ढुलाई कर नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।

लोग बोले — अब आंदोलन ही आखिरी रास्ता

गोरवी गोंदवाली, और आसपास के गांवों में जनाक्रोश उबल रहा है। लोग अब सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं।

अगर अब भी जिला प्रशासन ने आंख नहीं खोली, तो हम आंदोलन करेंगे। यह सिर्फ हवा का नहीं, हमारे बच्चों के भविष्य का सवाल है,” — ग्रामवासी

कुसुम देवी वैश्य ने कहा,प्रशासन पर सवाल — आखिर कब रुकेगा कोल का कहर

सवाल यह है कि जब प्रदूषण नियंत्रण के स्पष्ट नियम और मापदंड हैं, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या उद्योगपतियों की दबंगई प्रशासन पर भारी पड़ रही है?

सिंगरौली के लोग अब ठान चुके हैं कि “या तो हवा साफ होगी, या आंदोलन होगा।”

संवाददाता :- आशीष सोनी