दमोह जिले के ग्राम दौनी में निकल रहीं कल्चुरी काल की दुर्लभ मूर्तियां
दमोह जिले के तेंदूखेड़ा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पाठादो के पहाड़ी और वनाच्छादित क्षेत्र में स्थित ग्राम दौनी में पिछले एक वर्ष से पुरातात्विक खुदाई में कल्चुरी काल 10वीं, 11वीं शताब्दी की अत्यंत दुर्लभ मूर्तियां और स्थापत्य अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहां अभी भी लगातार तलाश की जा रही है।
मढ़ा मंदिर में होगीं संरक्षित
खुदाई कार्य के प्रभारी व उपयंत्री सपन साहू ने बताया कि खुदाई में मूर्तियां और अवशेष मिल रहे हैं। पुरातत्व विभाग, ग्वालियर के टाइमकीपर अजय द्विवेदी के अनुसार इन मूर्तियों को संरक्षित कर मढ़ामंदिर के पुनर्निर्माण की योजना है। इससे न केवल क्षेत्र की ऐतिहासिक पहचान को सहेजा जा सकेगा, बल्कि आने वाली पीढिय़ों को इस समृद्ध विरासत से भी परिचित कराया जा सकेगा।
तेंदूखेड़ा क्षेत्र प्राचीन धरोहरों और ऐतिहासिक स्थलों के लिए जाना जाता रहा है। यहां आज भी राजा-महाराजाओं के किले, मठ और मंदिर विद्यमान हैं, जो उचित संरक्षण के अभाव में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। परंतु अब पुरातत्व विभाग की सक्रियता के चलते इन धरोहरों को संरक्षित करने की दिशा में सार्थक प्रयास हो रहे हैं। यह उत्खनन क्षेत्र के सांस्कृतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ रहा है और प्रदेश की ऐतिहासिक पहचान को सशक्त बना रहा है।
खुदाई प्रारंभ होने से पहले पुरातत्व विभाग, भोपाल से आए अधिकारियों एवं कलेक्टर सुधीर कोचर ने स्थल का निरीक्षण किया था। खुदाई स्थल पर मलवा हटाने और उत्खनन में ऐतिहासिक धरोहरें मिल रही हैं। अब तक ब्रह्मा, विष्णु, शिव, उमा-महेश्वर, अर्धनारीश्वर, पार्वती, वायुदेव, गज अप्सरा और नायिकाओं की सुंदर और कलात्मक मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। इन मूर्तियों की बनावट, शिल्पकला और धार्मिक प्रतीकात्मकता से यह स्पष्ट होता है कि यह क्षेत्र कल्चुरी काल में सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध रहा है। खुदाई स्थल के पास स्थित सिद्ध हनुमान मठ की धार्मिक मान्यता भी इस स्थान को विशेष महत्व प्रदान करती है। मान्यता है कि यहां स्थित हनुमान की मूर्ति का एक पैर पाताल लोक तक जाता है, एक बार जब चोरों ने हनुमान जी की मूर्ति ले जानी चाहिए तो पैर का छोड़ ही प्राप्त नहीं हुआ, यह स्थल जनआस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां पर जो पानी की झिरिया है उसमें 12 मास पानी रहता है।

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