पाटन में मिस्बाह मिशन स्कूल में 'जय श्री राम' कहने पर छात्र से मारपीट का आरोप, स्कूल प्रबंधन ने आरोपों को नकारा


जिले के पाटन क्षेत्र में स्थित मिस्बाह मिशन स्कूल शनिवार को एक गंभीर विवाद के केंद्र में आ गया, जब कुछ अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन पर एक छात्र की पिटाई करने का सनसनीखेज आरोप लगाया. अभिभावकों का कहना है कि उनके बच्चे को केवल इसलिए मारा-पीटा गया, क्योंकि उसने स्कूल परिसर के भीतर 'जय श्री राम' का उच्चारण किया था. इस घटना के सामने आते ही स्थानीय बजरंग दल के कार्यकर्ता और बड़ी संख्या में अभिभावक आक्रोशित हो उठे और उन्होंने पाटन पुलिस थाने पहुँचकर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए एक लिखित शिकायत दर्ज कराई.

यह पूरा मामला शनिवार दोपहर लगभग 12 बजे उस समय गरमाया, जब पीड़ित छात्र के परिजन अन्य अभिभावकों और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ पाटन थाने पहुँचे. शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि छात्र को स्कूल में धार्मिक नारे लगाने या किसी विशेष धार्मिक अभिवादन का प्रयोग करने पर जानबूझकर शारीरिक दंड दिया गया. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बच्चे ने 'जय श्री राम' बोला था, जिसके बाद स्कूल के कुछ स्टाफ सदस्यों द्वारा उसे निशाना बनाया गया और मारा गया. इस घटना ने क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर दिया है और यह शिक्षा के मंदिर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े कर रहा है.

दूसरी ओर, मिस्बाह मिशन स्कूल प्रबंधन ने इन आरोपों को पूरी तरह से बेबुनियाद और निराधार बताया है. स्कूल के एक प्रतिनिधि ने इस घटना से साफ इनकार करते हुए कहा कि छात्र की किसी भी प्रकार की पिटाई नहीं की गई है. प्रबंधन का कहना है कि यह मामला अनुशासन से जुड़ा हुआ था, न कि किसी धार्मिक नारे से. प्रतिनिधि ने दावा किया, "छात्र को मारा-पीटा नहीं गया है, बल्कि उसे केवल स्कूल के नियमों और मर्यादाओं के बारे में समझाया गया था." उनके अनुसार, स्कूल का उद्देश्य सभी धर्मों के छात्रों के लिए एक शांतिपूर्ण और समावेशी वातावरण बनाए रखना है और वे किसी भी तरह के धार्मिक भेदभाव का समर्थन नहीं करते हैं.

पाटन पुलिस ने अभिभावकों और बजरंग दल कार्यकर्ताओं की शिकायत मिलने के बाद मामले को गंभीरता से लिया है. पुलिस ने दोनों पक्षों के बयानों को दर्ज किया है और अब पूरे मामले की जाँच शुरू कर दी गई है. स्थानीय थाना प्रभारी ने बताया कि स्कूल परिसर के सीसीटीवी फुटेज की जाँच की जा रही है और घटना के समय मौजूद अन्य छात्रों और स्टाफ सदस्यों से भी पूछताछ की जाएगी ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके. उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा.

गौरतलब है कि यह पहला मामला नहीं है जब किसी स्कूल को धार्मिक या सांस्कृतिक कारणों से विवादों का सामना करना पड़ा हो. अभिभावकों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं छात्रों के मन में भय पैदा करती हैं और शिक्षा के मौलिक अधिकारों का हनन करती हैं. वे मांग कर रहे हैं कि स्कूल प्रबंधन को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए और संबंधित स्टाफ पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए. स्थानीय राजनीतिक गलियारों में भी इस मुद्दे को लेकर गहमागहमी शुरू हो गई है, जहाँ कुछ नेताओं ने अभिभावकों के समर्थन में बयान जारी किए हैं, वहीं कुछ अन्य ने जांच पूरी होने तक शांति बनाए रखने की अपील की है. पाटन पुलिस इस संवेदनशील स्थिति को नियंत्रित करने के लिए स्कूल के बाहर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सके.

संवाददाता :- आशीष सोनी