धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की दिल्ली-मथुरा “सनातन हिंदू एकता पदयात्रा” में उमड़ा सैलाब, मथुरा में दिखा भक्तों का उत्साह
यात्रा के शुभारंभ के साथ ही सुबह से ही भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए। ढोल-नगाड़ों, भजन-कीर्तन और जय-घोष के बीच शास्त्री ने सभी को “विवाद नहीं, संवाद” और “जात-पात को त्यागकर एकता अपनाने” का संदेश दिया। यात्रा के दौरान प्रतिदिन श्रद्धालुओं से सात संकल्प दिलाए जा रहे हैं, जिनमें राष्ट्रभक्ति, सामाजिक समरसता और सनातन संस्कृति की रक्षा प्रमुख हैं।
मथुरा में विशेष तैयारियाँ
यात्रा के मथुरा प्रवेश को देखते हुए प्रशासन ने व्यापक व्यवस्थाएँ की हैं।कोसी-वृंदावन क्षेत्र में भक्तों को प्रसाद वितरण के लिए 20 से अधिक बड़ी भट्टियाँ तैयार कराई गई हैं, जिन पर हजारों किलोग्राम प्रसाद बनाया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, पदयात्रा में दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान है।
सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पूरी मार्ग पर पुलिस बल, ड्रोन कैमरे और मेडिकल टीमें तैनात की गई हैं।स्थानीय लोगों में यात्रा को लेकर काफी उत्साह है और कई स्थानों पर श्रद्धालु पुष्प वर्षा कर स्वागत कर रहे हैं।
संत-समाज और विभिन्न वर्गों का समर्थन
यात्रा को कई संत-महात्माओं, सामाजिक संगठनों और युवा समूहों ने समर्थन दिया है। कई स्थानों पर स्थानीय नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक प्रतिनिधियों ने पदयात्रा में कुछ दूरी तक शामिल होकर एकजुटता का संदेश दिया।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि यह यात्रा भक्ति, राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक चेतना का संगम है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह किसी के विरोध की यात्रा नहीं, बल्कि आपसी प्रेम और एकता को मजबूत करने का प्रयास है।
श्रद्धालुओं में भारी उत्साह
यात्रा के मथुरा व वृंदावन की ओर बढ़ते ही हजारों लोग सड़कों पर उमड़ पड़े हैं। कई स्थानों पर श्रद्धालुओं ने स्वागत द्वार बनाकर यात्रा का अभिनंदन किया। स्थानीय ब्रजवासियों ने यात्रा को “धार्मिक महोत्सव” की संज्ञा दी है।
संवाददाता :- मोहम्मद आरिफ

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